
उत्तर प्रदेश में आर्थिक विकास की नई कहानी उन हाथों से लिखी जा रही है, जो अब तक हाशिए पर खड़े थे। जंगलों के बीच बसे थारू जनजाति के लोग, जो सदियों से परंपरागत कारीगरी को जीवित रखे हुए हैं, अब राज्य की एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था के सपने में सहभागी बन रहे हैं। प्रदेश सरकार की ODOP और MSME जैसी योजनाएं न केवल इन समुदायों की पहचान को मजबूती दे रही हैं, बल्कि उन्हें अपने हुनर को बाजार तक पहुँचाने की नई उड़ान भी दे रही हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सोच स्पष्ट है, विकास का कोई भी कदम तब तक पूरा नहीं, जब तक हर समुदाय उसकी भागीदारी महसूस न करे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ध्यान प्रदेश के जनजाति समुदायों, विशेषकर थारू जनजाति, के आर्थिक उत्थान पर केंद्रित है। प्रदेश में थारू जनजाति के लिए 350 से अधिक स्व-सहायता समूह गठित किए गए हैं, जिनके माध्यम से लोगों को व्यापार और स्वरोजगार के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार की ओर से छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए 1.50 लाख रुपये तक की धनराशि प्रदान की जा रही है, जिससे थारू समाज के लोग आत्मनिर्भर बन सकें और अपनी पारंपरिक कला को रोजगार का सशक्त माध्यम बना सकें।
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थारू जनजाति मुख्य रूप से गोरखपुर, महराजगंज, बलरामपुर, बहराइच, लखीमपुर खीरी और पीलीभीत में निवास करती है। ये लोग काष्ठशिल्प और बांस से बने उत्पादों के निर्माण में विशेष दक्षता रखते हैं।
लखीमपुर खीरी के पलिया ब्लॉक में फॉरेस्ट एंड डेवलपमेंट रिलेटेड वैल्यू चेन कंपनी थारू कारीगरों के उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग कर रही है। इस प्रयास से न केवल उत्पादों की पहुँच बढ़ी है, बल्कि जनजाति समुदाय में आर्थिक आत्मविश्वास भी विकसित हुआ है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की महत्वपूर्ण योजना वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) ने प्रदेश के परंपरागत और वंचित समूहों को आर्थिक रूप से मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई है।
इन उपलब्धियों का सीधा लाभ जनजाति समुदाय को मिल रहा है, जो अब अपने पारंपरिक कौशल को ब्रांडिंग, फाइनेंसिंग और आधुनिक मार्केटिंग के सहारे वैश्विक बाजारों तक पहुँचा रहे हैं। मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और डिजिटल मार्केटिंग ने थारू समाज के उत्पादों को नई पहचान दी है, जिससे ग्रामीण स्तर पर रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं।
देश में सर्वाधिक MSME इकाइयाँ उत्तर प्रदेश में हैं। मुख्यमंत्री योगी के प्रयासों से आज प्रदेश में 96 लाख से अधिक लघु और मध्यम उद्योग इकाइयाँ रोजगार दे रही हैं।
इन सभी ने आर्थिक गतिविधियों को नया बल दिया है। MSME की यह संरचना कमजोर और हाशिए पर रहे वर्गों को आय और सम्मानजनक रोजगार का अवसर दे रही है।
थारू जनजाति को आर्थिक मुख्यधारा में जोड़ने के लिए प्रदेश सरकार का प्रयास दिखाता है कि विकास केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं, बल्कि उन समुदायों तक पहुँचना चाहिए जो अब तक अनदेखे रहे। ODOP और MSME की नीतियों ने यह साबित कर दिया है कि यदि दिशा और समर्थन सही हो, तो परंपरागत कौशल भी आधुनिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन सकता है। जनजाति समुदाय की बढ़ती भागीदारी यह संदेश देती है कि उत्तर प्रदेश का वन ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी का लक्ष्य सिर्फ सरकार का नहीं, बल्कि हर नागरिक का साझा सपना है।
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