
लखनऊ: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के तीन शहरों में करीब 20 ठिकानों पर मैक्सीज़ोन पोंजी स्कीम मामले में तलाशी अभियान शुरू किया।अधिकारियों ने बताया कि इस स्कीम में प्रमोटरों ने कथित तौर पर निवेशकों को भारी मुनाफे का वादा करके 300 करोड़ रुपये से ज़्यादा की ठगी की। ये छापे मामले से जुड़े संदिग्धों और आरोपियों के बारे में मिली कुछ सूचनाओं के आधार पर गुरुवार सुबह से ही उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, नोएडा और मेरठ में मारे जा रहे हैं।
अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी का रांची ज़ोनल ऑफिस उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ मिलकर इस तलाशी अभियान को चला रहा है। इन छापों का मकसद डिजिटल सबूत, वित्तीय रिकॉर्ड और मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों से जुड़े संभावित लिंक इकट्ठा करना है। कई टीमों ने आरोपियों, वरिष्ठ अधिकारियों, कर्मचारियों और अन्य संदिग्ध सहयोगियों से जुड़े रिहायशी और कमर्शियल ठिकानों पर एक साथ तलाशी ली।
ED जांचकर्ताओं के मुताबिक, जांच में पता चला है कि मैक्सीज़ोन के प्रमोटरों ने हज़ारों निवेशकों को अवास्तविक मुनाफे की गारंटी देकर लुभाया। भरोसा बनाने के लिए कथित तौर पर जाली दस्तावेज़ों और हेरफेर किए गए वित्तीय अनुमानों का इस्तेमाल किया गया। "जब एक बड़ी रकम जमा हो गई, तो आरोपी कथित तौर पर पैसे लेकर फरार हो गए।" एजेंसी को शक है कि पैसे का एक बड़ा हिस्सा शेल कंपनियों के ज़रिए डायवर्ट किया गया और इसके सोर्स को छिपाने के लिए बैंक खातों के ज़रिए लेयरिंग की गई।
दोनों प्रमोटर पुलिस द्वारा पहले दर्ज किए गए मुख्य अपराध के सिलसिले में फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। ED अधिकारी यह भी जांच कर रहे हैं कि क्या जमा किए गए फंड को अचल संपत्ति, लक्जरी गाड़ियों या विदेशी होल्डिंग्स में निवेश किया गया था। एजेंसी से उम्मीद है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत अपनी जांच के हिस्से के रूप में कंपनी के वित्तीय कामकाज से जुड़े कई लोगों के बयान दर्ज करेगी।
तलाशी अभी जारी है, और अधिकारियों ने कहा कि जुटाए गए सबूतों के आधार पर आगे गिरफ्तारियां, संपत्ति कुर्की और वसूली की कार्रवाई हो सकती है। अधिकारियों ने यह भी कहा कि आज की कार्रवाई से मिली जानकारी कथित धोखाधड़ी के पूरे पैमाने और मनी ट्रेल को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाएगी।
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