
Fake Medicine Racket: आगरा शहर में उस वक्त हड़कंप मच गया जब स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) और ड्रग विभाग की संयुक्त टीम ने नकली दवाओं के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया। यह कार्रवाई न केवल एक मेडिकल दुकान तक सीमित रही, बल्कि पूरे नेटवर्क की परतें खोलते-खोलते मामला 11 राज्यों तक जा पहुंचा। सवाल यह है कि जब मरीज इलाज के नाम पर दवाएं खरीद रहे थे, तब उन्हें असल में क्या दिया जा रहा था?
कार्रवाई के दौरान हेमा मेडिको के मालिक हिमांशु अग्रवाल को उस समय रंगे हाथ पकड़ा गया, जब उसने छापेमारी रोकने के लिए अधिकारियों को 1 करोड़ रुपये रिश्वत देने की कोशिश की। अधिकारियों ने तुरंत रकम जब्त की और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
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एसटीएफ और ड्रग विभाग की संयुक्त टीम को 2.50 करोड़ रुपये से अधिक की दवाएं गोदाम और दुकान से मिलीं। इनमें Glenmark, Zydus, Sun Pharma, Sanofi जैसी नामी कंपनियों की दवाएं भी शामिल थीं।
नहीं।जांच में साफ हुआ कि यह कारोबार 11 राज्यों में फैला हुआ था। इसका नेटवर्क चेन्नई से लखनऊ तक फैला है। यह साफ संकेत है कि दवाओं की आड़ में एक संगठित गैंग लंबे समय से काम कर रहा था।
जब टीम ने मौके से नकदी बरामद की तो रकम इतनी अधिक थी कि नोट गिनने के लिए मशीन मंगानी पड़ी। यह इस बात का सबूत है कि कारोबार केवल दुकान या गोदाम तक सीमित नहीं, बल्कि बेहद गहराई तक फैला हुआ है।
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