
Ghaziabad Businessman Notice To Nagar Nigam: गाजियाबाद में मानसून की पहली ही मूसलाधार बारिश ने नगर निगम की पोल खोल दी। 23 जुलाई को शहर में हुई तेज बारिश के कारण वसुंधरा और साहिबाबाद के बीच की सड़कें तालाब में तब्दील हो गईं। नालियों की सफाई न होने से जल निकासी ठप हो गई और इसी जलभराव की चपेट में आ गई एक आम नागरिक की कार-लेकिन इस बार मामला सिर्फ क्षतिग्रस्त गाड़ी तक सीमित नहीं रहा। यह पहली बार है जब गाजियाबाद में किसी नागरिक ने जलभराव के कारण हुए निजी नुकसान को लेकर नगर निगम को कानूनी तौर पर चुनौती दी है।
वसुंधरा के निवासी और व्यवसायी अमित किशोर की कार सुबह 10 बजे लाजपत नगर से लौटते वक्त जलमग्न सड़क पर फंस गई। इतना पानी था कि उनकी कार का इंजन और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम बुरी तरह खराब हो गया। बाद में गाड़ी को नोएडा के एक सर्विस सेंटर में ले जाया गया, जहां मरम्मत की लागत लगभग ₹5 लाख आंकी गई। लेकिन अमित किशोर ने इसे महज़ एक दुर्घटना नहीं माना-उन्होंने इसे "सिस्टमिक फेलियर" बताया और गाजियाबाद नगर निगम को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कड़ा कदम उठाया।
अमित किशोर ने अपने वकील प्रेम प्रकाश के माध्यम से नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक को एक कानूनी नोटिस भेजा है। इसमें उन्होंने ₹5 लाख की मरम्मत लागत और ₹5 लाख मानसिक प्रताड़ना के लिए मुआवज़ा मांगा है। साथ ही उन्होंने साहिबाबाद, वसुंधरा और आस-पास के इलाकों की जल निकासी व्यवस्था दुरुस्त करने और बंद नालियों की तत्काल सफाई की मांग की है। किशोर ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि 15 दिनों में कोई जवाब नहीं मिला तो वह उच्च न्यायालय, लोकायुक्त या अन्य मंचों पर जाकर न्याय की गुहार लगाएंगे।
किशोर ने यह मुद्दा सिर्फ अपनी कार तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई हर उस करदाता की है जिसे नागरिक बुनियादी सेवाएं नहीं मिल रहीं। उन्होंने कहा, “ये सिर्फ मेरी कार नहीं डूबी, बल्कि सिस्टम की जवाबदेही भी उसी पानी में बह गई।” उनके वकील ने इसे “लापरवाही और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन” बताया और कहा कि नगर निगम की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को सुरक्षित और व्यवस्थित बुनियादी ढांचा दे।
फिलहाल गाजियाबाद नगर निगम की तरफ से इस मामले में कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों के बीच इस घटनाक्रम ने चर्चा का तूफ़ान ला दिया है। कई लोग इसे एक “जरूरी जनहित पहल” मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे आने वाले समय में निगमों की कार्यप्रणाली में बदलाव की संभावित शुरुआत भी कह रहे हैं।
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