
Ghaziabad Woman Sub Inspector Death: रात का सन्नाटा, थकान से भरी ड्यूटी के बाद लौटती एक महिला अफसर और अचानक सामने आया एक आवारा कुत्ता। पलभर में सबकुछ बदल गया। गाजियाबाद की सब-इंस्पेक्टर रिचा सचान की ज़िंदगी रविवार देर रात सड़क पर ही खत्म हो गई। ये हादसा जितना दर्दनाक है, उतना ही हमारी व्यवस्था पर सवाल भी खड़ा करता है।
रिचा सचान मूल रूप से कानपुर की रहने वाली थीं। गाजियाबाद के कविनगर थाने में सब-इंस्पेक्टर के तौर पर तैनात थीं। शास्त्री नगर के महिंद्रा एन्क्लेव में किराए पर अकेले रह रही थीं। पुलिस विभाग में उनकी गिनती मेहनती और ईमानदार अफसरों में होती थी। साथियों का कहना है कि रिचा अपने काम को लेकर बेहद गंभीर रहती थीं और अक्सर देर रात तक ड्यूटी करती थीं।
रविवार रात करीब 1 बजे रिचा ड्यूटी खत्म कर बुलेट से घर लौट रही थीं। शास्त्री नगर के कार्ट चौराहे के पास अचानक एक कुत्ता उनकी बाइक के सामने आ गया। बुलेट सीधे उससे टकराई और रिचा सड़क पर गिर गईं। उसी वक्त पीछे से आ रही एक कार ने उन्हें टक्कर मार दी। सिर पर गंभीर चोट लगी और खून तेजी से बहने लगा। तुरंत उन्हें कविनगर के सर्वोदय अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने कुछ ही देर बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया।
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रिचा की मौत की खबर मिलते ही पूरे पुलिस विभाग में शोक की लहर दौड़ गई। वरिष्ठ अधिकारियों ने अस्पताल पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी। कविनगर एसीपी ने बताया कि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी कराई जा रही है। विभागीय साथी मानते हैं कि रिचा के भीतर अभी बहुत संभावनाएं थीं और इतनी कम उम्र में उनका यूं चला जाना बेहद दुखद है।
इस घटना ने एक बार फिर गाजियाबाद और NCR में आवारा कुत्तों की मौजूदगी पर बहस छेड़ दी है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही आदेश दिए हैं कि कुत्तों को शेल्टर होम में रखा जाए, लेकिन हालात जस के तस हैं। पिछले साल भी गाजियाबाद में कुत्ते से टकराकर एक बाइक चालक गंभीर रूप से घायल हुआ था। सवाल है – क्या हम हर बार हादसे का इंतज़ार करते रहेंगे?
ये सिर्फ एक पुलिस अफसर की मौत नहीं, बल्कि हर नागरिक की सुरक्षा से जुड़ा सवाल है। रात में घर लौटते वक्त किसी के भी सामने ऐसा हादसा हो सकता है। रिचा की मौत ने यह साफ कर दिया है कि सड़क सुरक्षा सिर्फ ट्रैफिक नियमों तक सीमित नहीं, बल्कि शहर की व्यवस्थाओं से भी जुड़ी है।
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