एक साथ वर्दी, एक साथ जॉइनिंग! हापुड़ के पिता-पुत्र की अनोखी सफलता

Published : Jun 18, 2025, 10:54 AM IST
hapur up police father son joining success story

सार

Hapur police recruitment success story: हापुड़ के एक गांव से पिता-पुत्र की जोड़ी ने यूपी पुलिस में एक साथ जगह बनाकर मिसाल कायम की है। सेना से रिटायर पिता और युवा बेटे की मेहनत और समर्पण की कहानी।

up police father son selection: जनपद हापुड़ के एक छोटे से गांव से निकली एक ऐसी कहानी, जो न सिर्फ प्रेरणा देती है बल्कि यह भी साबित करती है कि जुनून, मेहनत और साथ चलने की भावना किसी भी लक्ष्य को साकार कर सकती है। धौलाना क्षेत्र के गांव उदयपुर नंगला से ताल्लुक रखने वाले एक पिता और बेटे की जोड़ी ने यूपी पुलिस भर्ती में साथ-साथ चयनित होकर इतिहास रच दिया है।

सेना से पुलिस तक, यशपाल नागर का नया अध्याय

40 वर्षीय यशपाल नागर ने 2003 में भारतीय सेना में बतौर जवान भर्ती होकर 16 वर्षों तक देश की सेवा की। 2019 में सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने अपने बेटे शेखर नागर के साथ यूपी पुलिस की तैयारी शुरू की। उनका मानना था कि देश सेवा की राह कभी खत्म नहीं होती, बस वर्दी बदलती है।

पढ़ाई और फिटनेस, पिता-पुत्र की साझी मेहनत

शेखर नागर, जो उस समय महज 18 वर्ष के थे, अपने पिता से प्रेरित होकर पुलिस भर्ती की तैयारी में जुट गए। दोनों न केवल एक साथ पढ़ाई करते थे, बल्कि सुबह की दौड़, व्यायाम और अनुशासन में भी एक-दूसरे का साथ निभाते थे। इस साझा प्रयास ने ही उन्हें एक साथ सफलता की सीढ़ी तक पहुँचाया।

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एक साथ मिला नियुक्ति पत्र - परिवार में खुशी की लहर

2023 की यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा में दोनों ने सफलता पाई और हाल ही में लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में उन्हें जॉइनिंग लेटर सौंपा गया। पिता यशपाल नागर और बेटा शेखर नागर जब एक साथ वर्दी में नजर आए, तो न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे गांव में गर्व और खुशी का माहौल बन गया।

गांव उदयपुर नंगला में यह पहली बार है जब पिता और बेटा एक साथ पुलिस विभाग में नियुक्त हुए हैं। ग्रामीणों ने भी इस उपलब्धि को सराहा और इसे नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बताया। यशपाल नागर ने कहा, "अगर इरादा मजबूत हो तो उम्र कोई बाधा नहीं बनती। मैंने बेटे को मोटिवेट किया, लेकिन खुद भी पीछे नहीं हटा।"

इस अनोखी सफलता ने यह साबित कर दिया है कि मेहनत और समर्पण का कोई विकल्प नहीं होता। हापुड़ की यह कहानी केवल भर्ती की नहीं, बल्कि उस रिश्ते की भी है जिसमें साथ चलना ही सबसे बड़ी ताकत बन जाता है।

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