'तिवारीजी की सीट' के रूप में आज भी जाना जाता है चिल्लूपार विधानसभा, यहां से छह बार जीत चुके हैं हरिशंकर तिवारी

चिल्लूपार से छह बार विधायक और यूपी के पांच बार मंत्री रहे हरिशंकर तिवारी का गोरखपुर का हाता के नाम से प्रसिद्ध आवास हमेशा ही यूपी की सियासत का केंद्र रहा है।

 

Harishankar Tiwari death: यूपी के बाहुबली पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी का निधन मंगलवार को हो गया। पूर्वांचल में ब्राह्मण राजनीति के सर्वमान्य नेता के तौर पर पहचान बनाने वाले हरिशंकर तिवारी जिस गोरखपुर के चिल्लूपार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते थे, उसे आज भी तिवारी जी की सीट के रूप में जाना और पहचाना जाता है। हालांकि, 2007 में पहली बार इस सीट से हारने के बाद वह चुनावी राजनीति से दूर हो गए लेकिन पूरे पूर्वांचल में तिवारी का दबदबा हमेशा ही कायम रहा। चिल्लूपार से छह बार विधायक और यूपी के पांच बार मंत्री रहे हरिशंकर तिवारी का गोरखपुर का हाता के नाम से प्रसिद्ध आवास हमेशा ही यूपी की सियासत का केंद्र रहा है।

जेल से ही चुनाव जीत गए थे हरिशंकर तिवारी

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पूर्वांचल के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी करीब पांच दशक से गोरखपुर और आसपास की सियासत के केंद्र में रहे हैं। 1985 में वह निर्दलीय विधायक के रूप में ही चुने गए थे। पर्चा उन्होंने जेल से ही भरा था। इसके बाद चिल्लूपार विधानसभा सीट पर वह अजेय हो गए। 1985 के बाद वह लगातार छह बार इस सीट से चुनाव जीते। वह 1985,1989, 1991, 1993, 1996 और 2002 में चिल्लूपार से चुनाव जीते। 2007 में अप्रत्याशित रूप से बसपा प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी ने उनको हरा दिया। इस हार के बाद 2012 से वह चुनावी राजनीति से दूर हो गए। 2017 में उनके बेटे विनय शंकर तिवारी ने चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से राजेश त्रिपाठी को हराकर जीत हासिल की। हालांकि, 2022 का विधानसभा चुनाव वह सपा से लड़े लेकिन जीत नहीं मिल सकी।

पांच बार रहे हैं मंत्री

चिल्लूपार के तत्कालीन विधायक हरिशंकर तिवारी ने 1996 में कल्याण सिंह सरकार को अपना समर्थन दिया था। कांग्रेस से अलग होकर कुछ विधायकों ने लोकतांत्रिक कांग्रेस बनाया। कल्याण सरकार ने पहली बार हरिशंकर तिवारी को साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्री बनाया। साल 2000 में बीजेपी सरकार में ही रामप्रकाश गुप्ता के मुख्यमंत्री काल में वह स्टांप पंजीयन विभाग के मंत्री बनें। 2001 में बीजेपी ने राजनाथ सिंह को मुख्यमंत्री बनाया। उस समय पंडित हरिशंकर तिवारी को फिर मंत्री पद से नवाजा गया। 2002 में मायावती के नेतृत्व में सरकार बनी। पंडित हरिशंकर तिवारी का इस बार भी जलवा कायम रहा। मायावती सरकार में वह फिर मंत्री बनाएं गए। 2003 में मुलायम सिंह यादव ने यूपी में सरकार बनाई। इस सरकार में भी हरिशंकर तिवारी को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ दिलाई गई।

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