इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज उत्पीड़न के एक मामले को रद्द करते हुए सवाल उठाया कि अगर पत्नी यौन संबंध बनाने से मना करे तो पति अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए कहाँ जाए।
प्रयागराज: यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए जीवनसाथी के पास नहीं तो कहाँ जाएँ, यह सवाल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उठाया है। इस सवाल के साथ ही एक पुरुष और दो अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने का आदेश दिया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह सवाल किया।
प्रांजल शुक्ला नामक व्यक्ति पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई थी। शुक्ला के साथ दो अन्य लोगों के नाम भी आरोपियों की सूची में थे। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि वे दहेज लाने के लिए उत्पीड़न और प्रतारणा करते हैं, अश्लील फिल्में देखने के लिए मजबूर करते हैं और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के लिए दबाव डालते हैं। लेकिन आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं होने के कारण अदालत ने मामला रद्द कर दिया।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने कहा कि यहाँ सभी प्राथमिक आरोप पति और पत्नी के बीच यौन संबंधों के इर्द-गिर्द घूमते हैं। ऐसा लगता है कि कुछ यौन गतिविधियों में पत्नी की असहमति दंपति के बीच मतभेद का कारण बनी। एफआईआर में दर्ज आरोप दहेज उत्पीड़न से संबंधित नहीं हैं।
दंपति के बीच यौन संबंधों में तालमेल न होने के कारण दहेज उत्पीड़न का झूठा आरोप लगाया गया प्रतीत होता है। इन आरोपों का कोई आधार नहीं है। सभ्य समाज में पति अपनी पत्नी के अलावा और पत्नी अपने पति के अलावा किससे अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति की मांग करे, यह सवाल अदालत ने उठाया।