IITF 2025 में चमकेगी काशी की बनारसी साड़ी, कारीगरों को मिलेगा वैश्विक मंच

Published : Nov 15, 2025, 09:41 AM IST
IITF 2025 Varanasi banarasi saree

सार

बनारसी साड़ी अब अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी कला का प्रदर्शन कर रही है। ODOP और GI टैग की मदद से काशी के कारीगरों को नए बाजार मिले हैं। भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 2025 में 29 हस्तशिल्पी अपने उत्पाद प्रदर्शित करेंगे।

वाराणसी। काशी की शान बन चुकी बनारसी साड़ी अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी चमक बिखेर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में डबल इंजन सरकार की नीतियों ने पारंपरिक कलाओं को नई पहचान दी है। इन नीतियों ने न केवल स्थानीय कारीगरों की आय बढ़ाई है, बल्कि उन्हें वैश्विक बाजार में अपनी कला दिखाने का अवसर भी दिया है।

भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 2025 में काशी के उत्पादों की दमदार उपस्थिति

“एक भारत, श्रेष्ठ भारत” थीम पर आयोजित भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 2025 का आयोजन 14 से 27 नवंबर 2025 तक प्रगति मैदान (भारत मंडपम्) में हो रहा है। इस बार उत्तर प्रदेश को पार्टनर स्टेट का विशेष दर्जा मिला है। सरकार राज्य के हस्तशिल्पियों और निर्यातकों को अपने उत्पाद दुनिया के सामने प्रस्तुत करने का सुनहरा अवसर दे रही है। इस भव्य मेले में काशी के 29 हस्तशिल्पियों ने पंजीकरण कराया है, जिनमें से 17 नेशनल अवॉर्डी हैं। यह संख्या काशी के शिल्प की समृद्ध परंपरा और गुणवत्ता को दर्शाती है।

ओडीओपी और जीआई टैग से खुल रहे नए बाज़ार

जिला उद्योग प्रोत्साहन एवं उद्यमिता विकास केंद्र के उपायुक्त मोहन कुमार शर्मा के अनुसार, योगी सरकार द्वारा बनारसी साड़ी को ओडीओपी उत्पाद के रूप में शामिल करना और इसका जीआई टैग प्राप्त होना कारीगरों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुआ है। इन कदमों से काशी के बुनकरों को देश-विदेश के नए बाजारों तक पहुंच मिली है। सरकार की यह पहल उन्हें आत्मनिर्भर बनाने और भारत की पारंपरिक कला को विश्व मंच पर सम्मान दिलाने में अहम भूमिका निभा रही है।

भारतीय परंपरा और शिल्प का प्रतीक: बनारसी साड़ी

बनारसी साड़ी सिर्फ एक परिधान नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और शिल्प कौशल का प्रतीक है। फिल्म जगत के सितारे हों या बड़े औद्योगिक घराने—हर कोई बनारसी साड़ी की सुंदरता और बारीक बुनाई का दीवाना है। डबल इंजन सरकार का उद्देश्य है कि उत्तर प्रदेश के कारीगरों की मेहनत और कला सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी पहचान बनाए। इसी दिशा में भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेला 2025, काशी के बुनकरों के लिए एक बड़ा अवसर और मील का पत्थर बन रहा है।

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