
देश के प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में शुमार किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) एक बार फिर गंभीर आरोपों के चलते सुर्खियों में है। पैथोलॉजी विभाग से जुड़ा यह मामला अब सिर्फ व्यक्तिगत विवाद नहीं, बल्कि संस्थान की आंतरिक सुरक्षा, नैतिकता और कैंपस संस्कृति से जुड़ा बड़ा सवाल बन चुका है। धर्मांतरण, मानसिक दबाव और कट्टरपंथ फैलाने जैसे आरोपों के बीच विश्वविद्यालय प्रशासन ने पूरे प्रकरण की गहन जांच के आदेश दिए हैं।
मामले की गंभीरता को देखते हुए KGMU प्रशासन ने 5 सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया है। इस समिति में डॉक्टर सुमित रूंगटा, डॉक्टर केके सिंह, प्रो. सुरेश कुमार और प्रो. हैदर अब्बास को शामिल किया गया है। कमेटी को सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी, जो सीधे KGMU की वाइस चांसलर डॉ. सोनिया नित्यानंद को दी जाएगी।
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पीड़ित महिला डॉक्टर का आरोप है कि पैथोलॉजी विभाग के रेज़िडेंट डॉक्टर रमीजुद्दीन नायक उर्फ रमीज मालिक ने प्रेम संबंध का झांसा देकर उस पर धर्मांतरण और शादी का दबाव बनाया। आरोपों में शारीरिक शोषण की बात भी सामने आई है। पीड़िता का कहना है कि आरोपी कैंपस के भीतर धर्मांतरण से जुड़ा एक नेटवर्क चला रहा था।
17 दिसंबर को पीड़िता ने मानसिक तनाव में आकर दवा की ओवरडोज लेकर आत्महत्या की कोशिश की। हालत बिगड़ने पर उसे KGMU के आईसीयू में भर्ती कराया गया। इलाज के दौरान जब यह जानकारी सामने आई, तब पूरा मामला उजागर हुआ और विश्वविद्यालय प्रशासन हरकत में आया।
पीड़िता के परिजनों ने आरोप लगाया है कि आरोपी डॉक्टर इसी साल एक अन्य हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन कराकर चोरी-छिपे शादी कर चुका है। इस दावे के बाद मामले की गंभीरता और बढ़ गई है, जिसके चलते जांच का दायरा विस्तृत किया गया है।
जांच के दौरान आरोपी डॉक्टर ने विशाखा कमेटी के सामने दावा किया कि दोनों के बीच संबंध आपसी सहमति से थे और किसी तरह का दबाव नहीं बनाया गया। हालांकि, शादी को छिपाने, बयान बदलने और सहकर्मियों के कथनों में विरोधाभास सामने आने के बाद प्रशासन का रुख सख्त हो गया। स्थिति बिगड़ने पर KGMU प्रशासन ने आरोपी डॉक्टर को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। साथ ही उसके कैंपस में प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है। बताया जा रहा है कि आरोपी डॉक्टर फिलहाल फरार है।
पीड़िता ने पूरे मामले की शिकायत सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की, जिसके बाद सरकार ने त्वरित और निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। इसके बाद पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है, मजिस्ट्रियल बयान की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और आरोपी की गिरफ्तारी के लिए दबिशें तेज कर दी गई हैं।
मामला सामने आने के बाद पीड़िता को हॉस्टल आवंटित किया गया था, लेकिन उसने पिता के साथ रहने की इच्छा जताई। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने उसे कैंपस के भीतर ही पिता के साथ रहने की अनुमति दे दी है।
इस मामले को लेकर ABVP और NMO जैसे छात्र संगठनों ने कड़ी कार्रवाई की मांग तेज कर दी है। वहीं जांच समिति अब विभाग में कथित कट्टरपंथी गतिविधियों और संभावित सिंडिकेट की भूमिका की भी गहन जांच कर रही है।
KGMU से जुड़ा यह मामला अब केवल एक आरोपी या एक पीड़िता तक सीमित नहीं रह गया है। यह संस्थान की आंतरिक निगरानी व्यवस्था, कैंपस सुरक्षा और छात्रों की मानसिक सुरक्षा को लेकर भी बड़े सवाल खड़े कर रहा है। अब सबकी नजरें जांच समिति की रिपोर्ट और आगे होने वाली कानूनी कार्रवाई पर टिकी हैं।
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