“मैं सिर्फ BJP MLA की बेटी नहीं हूं”, कुलदीप सेंगर की बेटी का पोस्ट क्यों मचा रहा है तूफान

Published : Dec 30, 2025, 10:29 AM IST

उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी कुलदीप सिंह सेंगर से जुड़े केस में नया मोड़ आया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उनकी बेटी इशिता सेंगर का भावुक पोस्ट वायरल हो गया, वहीं कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासी घमासान तेज हो गया है।

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कोर्ट के आदेश के बाद बेटी की अपील, क्या फिर पलटेगा कुलदीप सेंगर केस?

न्याय की लंबी लड़ाई में कभी फैसले बोलते हैं, तो कभी पीड़ित और परिजन। उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी करार दिए जा चुके पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर से जुड़ा मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश पर रोक लगाए जाने के बाद अब सेंगर की बेटियों का दर्द सोशल मीडिया के जरिए सामने आया है, वहीं सियासत ने इस मुद्दे को फिर गरमा दिया है।

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सोशल मीडिया पर छलका बेटी का दर्द

कुलदीप सिंह सेंगर की छोटी बेटी इशिता सेंगर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक भावुक पोस्ट साझा करते हुए निष्पक्ष न्याय की अपील की है। उन्होंने लिखा कि उन्हें देश की न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है और उनका परिवार पिछले आठ वर्षों से खामोशी के साथ न्याय का इंतजार कर रहा है। इशिता ने कहा कि उनकी पहचान केवल “एक बीजेपी विधायक की बेटी” बनकर रह गई है। इस पहचान के चलते उन्हें लगातार सोशल मीडिया पर नफरत, गालियां और धमकियां झेलनी पड़ी हैं।

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न सहानुभूति, न विशेष रियायत, सिर्फ निष्पक्ष न्याय की मांग

अपने पोस्ट में इशिता सेंगर ने स्पष्ट किया कि उनका परिवार न तो किसी तरह की सहानुभूति चाहता है और न ही कानून से ऊपर कोई रियायत। उनकी मांग सिर्फ इतनी है कि कानून बिना दबाव और भय के काम करे और सबूतों की निष्पक्ष जांच हो। उन्होंने लिखा, “हम इंसान हैं, इसलिए न्याय मांग रहे हैं।”

इशिता की बड़ी बहन ऐश्वर्या सेंगर ने भी इस पोस्ट को रीपोस्ट करते हुए अपना संकल्प जाहिर किया। उन्होंने लिखा, “हम लड़ेंगे, हम हारेंगे नहीं।” इस संदेश के बाद मामला एक बार फिर सोशल मीडिया बहस का केंद्र बन गया।

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कांग्रेस का हमला, BJP समर्थकों पर गंभीर आरोप

इस पूरे घटनाक्रम के बीच उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने एक्स पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें कथित तौर पर बीजेपी समर्थकों को कुलदीप सेंगर के समर्थन में प्रदर्शन करते दिखाया गया है। कांग्रेस ने इसे “शर्मनाक” बताते हुए आरोप लगाया कि एक दोषी करार दिए गए नेता के समर्थन में सड़कों पर उतरना महिलाओं के सम्मान के खिलाफ है। कांग्रेस ने उन्नाव पीड़िता के संघर्ष का जिक्र करते हुए दावा किया कि न्याय की लड़ाई में उसने अपना पूरा परिवार खो दिया, पिता की हिरासत में मौत हुई और परिजन सड़क हादसे में मारे गए।

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‘बेटी बचाओ’ के नारों पर सवाल

कांग्रेस ने बीजेपी पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जो लोग ‘बेटी बचाओ’ के नारे लगाते हैं, उनके लिए असल में बेटियों की गरिमा कोई मायने नहीं रखती। पार्टी ने कहा कि सत्ता और वोट बैंक की राजनीति इंसाफ से ऊपर रखी जा रही है। एक अन्य पोस्ट में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सत्ता की “गुलामी” में कुछ महिलाएं भी आरोपी के समर्थन में खड़ी दिखीं। पार्टी का दावा है कि जब एक महिला समर्थक से पूछा गया कि अगर ऐसा अपराध उसकी बेटी के साथ होता तो वह क्या करती, तो उसके पास कोई जवाब नहीं था।

पूरा मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि न्याय, राजनीति और नैतिकता की सीमाएं आखिर कहां तय होती हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब यह बहस और तेज हो गई है कि कानून की कसौटी पर सियासी समर्थन और विरोध कितना टिकता है, और इंसाफ की राह में सबसे बड़ी कीमत कौन चुकाता है।

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