
Lucknow Rape case Encounter: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ एक बार फिर अपराध की ऐसी वारदात से कांप उठी, जिसने समाज की संवेदनशीलता पर भी गहरा सवाल खड़ा कर दिया। ढाई साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म और फिर उसके बेहोश शरीर को फेंक देने की दरिंदगी ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। पुलिस ने 24 घंटे के भीतर आरोपी दीपक वर्मा को एनकाउंटर में ढेर कर दिया, लेकिन इस घटना ने कई ऐसे पहलुओं को जन्म दे दिया, जिन्हें नजरअंदाज करना मुश्किल है।
4 जून की रात करीब ढाई बजे, आलमबाग मेट्रो स्टेशन के पास फुटपाथ पर एक महिला अपने पति और ढाई साल की बच्ची के साथ सो रही थी। तभी अंधेरे में चुपके से आया दीपक वर्मा नामक युवक बच्ची को उठाकर ले गया। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक, वह बच्ची को लिफ्ट की दूसरी ओर ले गया और उसके साथ हैवानियत की हदें पार कर दीं। जब मासूम बेहोश हो गई, तो उसे मरा समझकर पास की झाड़ियों में फेंक दिया।
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घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने तेजी से जांच शुरू की और 200 से ज्यादा CCTV कैमरों की फुटेज खंगाली गई। एक फुटेज में आरोपी बच्ची को उठाकर ले जाते हुए साफ दिखाई दिया। अन्य फुटेज में वह वारदात के बाद भागता हुआ भी नजर आया। यहीं से पुलिस की टीम ने दीपक वर्मा को ट्रेस किया और उसकी गिरफ्तारी के लिए अभियान शुरू किया।
शुक्रवार की सुबह पुलिस को सूचना मिली कि दीपक वर्मा गन्ना संस्थान के पास छिपा है। मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने चारों तरफ से उसे घेर लिया। खुद को घिरा देख आरोपी ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में वह घायल हो गया और अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। पुलिस ने पुष्टि की कि दीपक वर्मा पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित था।
यह वारदात आलमबाग जैसे व्यस्त इलाके में हुई, जहां 200 मीटर के दायरे में चार पुलिस चौकियां मौजूद हैं:
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस गश्त सिर्फ कागजों में है। इतनी सुरक्षा के बीच ऐसी वारदात होना पुलिस की लापरवाही को दर्शाता है।
लखनऊ पुलिस कमिश्नर का कहना है कि “ऐसे अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा।” बच्ची की हालत अब स्थिर है और डॉक्टरों की निगरानी में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है और परिवार को हर संभव मदद देने का आश्वासन दिया है।
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