लखनऊवालों के लिए खुशखबरी! अब अमीनाबाद और मेडिकल कॉलेज के लिए भी मेट्रो में सफर!

Published : Aug 12, 2025, 07:02 PM IST
lucknow metro

सार

Lucknow Metro Phase 1B Approval: केंद्रीय कैबिनेट ने 11.165 किलोमीटर लंबी लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना के चरण-1बी को मंजूरी दी। इससे पुराने लखनऊ के 12 महत्वपूर्ण इलाकों में बेहतर कनेक्टिविटी, ट्रैफिक कमी और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

Lucknow Metro Project 2025: लखनऊ के विकास में नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। केंद्रीय कैबिनेट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मेट्रो रेल परियोजना के चरण-1बी को मंजूरी दे दी है। यह परियोजना लगभग 11.165 किलोमीटर लंबी होगी और इसमें 12 नए स्टेशन शामिल होंगे। इसका उद्देश्य पुराने लखनऊ के व्यस्त और ऐतिहासिक इलाकों को बेहतर सार्वजनिक परिवहन से जोड़ना है। इससे न केवल यात्रा आसान होगी, बल्कि शहर की अर्थव्यवस्था और जीवन स्तर में भी सुधार आने की उम्मीद है।

क्यों जरूरी है लखनऊ के पुराने इलाकों में मेट्रो विस्तार?

लखनऊ एक तेजी से विकसित हो रहा शहर है, लेकिन पुराने और घनी आबादी वाले इलाकों में सार्वजनिक परिवहन की कमी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। खासकर अमीनाबाद, यहियागंज, पांडेयगंज, चौक जैसे व्यावसायिक केंद्र और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी जैसे स्वास्थ्य सेवा केंद्रों तक पहुंच आसान बनाने की ज़रूरत है। मेट्रो का विस्तार इन्हीं क्षेत्रों में कनेक्टिविटी की खाई को पाटेगा और शहरवासियों के लिए आवागमन को सहज बनाएगा।

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मेट्रो विस्तार से आम जनता को कैसे होगा फायदा?

फेज 1बी के शुरू होने के बाद लखनऊ का मेट्रो नेटवर्क 34 किलोमीटर तक पहुंच जाएगा। इससे यातायात जाम में कमी आएगी, खासकर पुराने लखनऊ के संकरी और भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर। बेहतर मेट्रो कनेक्टिविटी से लोग अपनी यात्रा जल्दी और आरामदायक तरीके से कर सकेंगे। साथ ही पर्यटक भी बड़ी आसानी से शहर के ऐतिहासिक स्थलों जैसे बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, भूल-भुलैया, घंटाघर और रूमी दरवाज़ा तक पहुंच पाएंगे।

मेट्रो विस्तार से यात्रा का समय कम होगा, जिससे कार्यस्थल और अन्य जगहों तक पहुंचना सरल होगा। इससे लोगों की उत्पादकता बढ़ेगी और स्थानीय व्यापार को भी फायदा मिलेगा। नए मेट्रो स्टेशनों के आसपास के क्षेत्र में निवेश और विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे पहले कम विकसित इलाकों में रोजगार के अवसर बनेंगे।

पर्यावरण और सामाजिक दृष्टिकोण से क्या लाभ?

परंपरागत जीवाश्म ईंधन आधारित वाहनों की जगह मेट्रो चलने से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जो शहर के पर्यावरण के लिए लाभकारी है। साथ ही सार्वजनिक परिवहन की पहुंच बढ़ने से विभिन्न सामाजिक-आर्थिक वर्गों को सुविधा मिलेगी, जिससे सामाजिक असमानता कम होगी।

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