रेप पीड़िता की कुंडली जांच के आदेश पर 'सुप्रीम' रोक...मांगलिक है या नहीं? इलाहाबाद HC ने दिया था ये आदेश

इलाहाबाद हाई कोर्ट के रेप पीड़िता की कुंडली जांचने के एक आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। उस आदेश में रेप पीड़िता की कुंडली लखनऊ विश्वविद्यालय (LU) के ज्योतिष विभाग द्वारा जांच का आदेश दिया गया था।

लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट के रेप पीड़िता की कुंडली जांचने के एक आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। उस आदेश में रेप पीड़िता की कुंडली लखनऊ विश्वविद्यालय (LU) के ज्योतिष विभाग द्वारा जांच का आदेश दिया गया था। ज्योतिष विभाग के प्रमुख को यह तय करने का निर्देश दिया गया था कि लड़की मांगलिक है या नहीं? हाई कोर्ट का यह आदेश बीते कई दिनों से सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा था। उसकी लोगों के बीच खूब चर्चा थी। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस पंकज मित्तल की अवकाश पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश का स्वत: संज्ञान लेते हुए यह आदेश दिया।

पीड़िता मांगलिक है, इसलिए नहीं कर सकता शादी

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दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक रेप केस में जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान आरोपी ने अपने बचाव में दलील देते हुए कहा कि पीड़िता मांगलिक है, इसी वजह से वह शादी नहीं कर सकता। हाईकोर्ट ने आरोपी की दलील सुनने के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग को रेप पीड़िता की कुंडली जांचने का आदेश दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस बृजराज सिंह ने यह आदेश दिया था। आदेश के अनुसार, आरोपी का दावा है कि लड़की मांगलिक है, इसलिए उसकी शादी गैर मांगलिक व्यक्ति के साथ नहीं हो सकती। आदेश में आगे कहा गया है कि लड़की मांगलिक है या नहीं? यह जानने के लिए दोनों पक्ष लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के अध्यक्ष के सामने अपनी कुंडली पेश करें।

हाईकोर्ट पर जमानत अर्जी पर विचार

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मैंने आदेश देखा है और इस पर रोक लगाई जा सकती है। ज्योतिष एक विज्ञान है। सवाल यह है कि क्या मांगलिक तय किया जा सकता है या नहीं? शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि दोनों पक्षों की सहमति से यह आदेश किया गया। अदालत के पास विशेषज्ञ साक्ष्य मांगने की शक्ति है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा निजता के अधिकार को भंग कर दिया गया है। जस्टिस मित्तल ने कहा कि आखिकर ज्योतिष के एंगल पर विचार क्यों किया गया और सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। साथ ही यह भी कहा कि हाईकोर्ट गुण-दोष के आधार पर जमानत अर्जी पर विचार कर सकता है।

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