भगदड़ के बीच इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों ने दिखाया मानवता का अद्भुत उदाहरण

Published : Feb 05, 2025, 03:40 PM IST
mahakumbh 2025 chaos students from Allahabad university show humanity and help pilgrims

सार

महाकुंभ 2025 में भगदड़ के बीच फंसे श्रद्धालुओं की मदद के लिए तीन छात्र आगे आए। उन्होंने चंदा इकट्ठा कर हॉस्टल में रहने, खाने-पीने का इंतजाम किया, हजारों को राहत पहुंचाई।

महाकुंभ 2025 के दौरान संगम तट पर अचानक भगदड़ मचने से हालात विकट हो गए थे। पुलिस और प्रशासन ने तीर्थयात्रियों को शहर में प्रवेश करने से रोक दिया, जिससे हजारों श्रद्धालु रात के अंधेरे में सड़क पर भटकते रहे। ऐसी परिस्थिति में, जब हर ओर केवल अफरातफरी का माहौल था और भूख-प्यास से तीर्थयात्री बेहाल थे, तीन छात्र देवदूत बनकर सामने आए।

यह कहानी है इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के तीन छात्रों की, जिन्होंने बिना किसी सरकारी मदद के लाखों श्रद्धालुओं के लिए राहत का रास्ता खोला।

कैसे शुरू हुआ राहत अभियान?

28 जनवरी की रात जब भगदड़ के कारण श्रद्धालु रास्तों पर फंसे हुए थे, तब BA तृतीय वर्ष के छात्र प्रीत उपाध्याय, MCA फाइनल ईयर की छात्रा सवालिनी यादव और BA तृतीय वर्ष के छात्र अमन मिश्रा ने ठान लिया कि वे मदद के लिए कुछ करेंगे। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत अपील की शुरुआत की, जिसमें मात्र ₹5-₹10 के योगदान के लिए QR कोड जनरेट किया। ये छोटी सी अपील इतनी प्रभावी साबित हुई कि कुछ ही घंटों में हजारों रुपये का चंदा जमा हो गया। इसके बाद इन छात्रों ने बिना किसी देरी के अपने हॉस्टल के दरवाजे तीर्थयात्रियों के लिए खोल दिए।

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हॉस्टल में तीर्थयात्रियों को मिली राहत

चंदा जुटने के बाद छात्रों ने सबसे पहले अपने हॉस्टल में ठहरने का इंतजाम किया, जहां तीर्थयात्रियों को आराम करने की जगह दी गई। इसके बाद चाय, बिस्कुट और भोजन का भी इंतजाम किया गया। इस अभियान ने 29 जनवरी से लेकर 5 फरवरी तक लगातार जारी रखा और अब तक हजारों श्रद्धालुओं को इसका लाभ मिल चुका है।

इन छात्रों का दृष्टिकोण

अमन मिश्रा, प्रीत उपाध्याय और सवालिनी यादव का कहना है कि मुश्किल वक्त में आलोचना करना आसान है, लेकिन मदद के लिए आगे आना कठिन। उन्होंने यह काम किसी पर एहसान करने के लिए नहीं, बल्कि अपनी सामाजिक जिम्मेदारी समझकर किया। इनकी यह पहल समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है और यह साबित कर दिया कि आज भी इंसानियत जिंदा है।

भविष्य में भी जारी रहेगा यह सेवा कार्य

सवालिनी यादव ने बताया कि यह सेवा कार्य आगे भी जारी रहेगा। हालांकि रुकने की कोई व्यवस्था नहीं हो पा रही है, फिर भी वे श्रद्धालुओं को चाय, बिस्कुट और भोजन बांटते रहेंगे।

इन तीन छात्रों ने महाकुंभ 2025 की इस कठिन घड़ी में एक ऐसी मिसाल पेश की है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। उनका यह प्रयास न केवल इस घड़ी में राहत देने वाला था, बल्कि यह समाज के लिए यह सिखाने वाला भी है कि हर किसी को बिना स्वार्थ के मदद के लिए आगे आना चाहिए।

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