महाकुंभ 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के महाकुंभ 2025 में नागा साधुओं की पहली झलक आम लोगों को मिली है। शाही स्नान के दूसरे दिन मकर संक्रांति के अवसर पर मंगलवार को साधु-संत पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान करेंगे। इसके लिए अखाड़ों का जुलूस निकल रहा है।
जुलूस के साथ नागा साधु संगम की ओर बढ़े हैं। भस्म लगाए नागा साधु हर-हर महादेव के नारे लगा रहे हैं। इससे पूरा माहौल ऊर्जा से भर गया है। ऐसा लग रहा है जैसे पूरा प्रयागराज महादेव के नारों से गूंज रहा है। इस पूरे आयोजन में नागा साधु आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
नागा साधु अपने शरीर पर सिर्फ फूलों की माला डाले हुए हैं। हाथ में तलवार जैसे हथियार भी हैं। नागा साधुओं की झलक पाने के लिए करोड़ों लोगों की भीड़ जुटी है। संन्यासियों के आगे बढ़ने के बाद श्रद्धालु धूल उठा रहे हैं। इसे पवित्र माना जाता है।
नागा साधु प्राचीन तपस्वी हैं। ये हजारों सालों से भारतीय संस्कृति में मौजूद हैं। उनके जीवन का तरीका अत्यधिक त्याग को दर्शाता है।
नागा साधु सांसारिक संपत्ति, समाज, परिवार और भौतिक संपत्ति का त्याग करते हैं। नागा साधु अत्यधिक तपस्या का जीवन जीते हैं। उन्हें धर्म की रक्षा करने वाला योद्धा माना जाता है।
नागा साधुओं का जीवन बेहद कठिन होता है। वे कठोर तपस्या करते हैं। दीक्षा प्रक्रिया में सांसारिक संपत्ति-समाज, स्थिति, परिवार से संबंधित हर चीज को त्याग देना होता है।
नागा साधु अपने शरीर को किसी भी आभूषण या भौतिक चीज से नहीं बल्कि भस्म से सजाते हैं।
नागा साधु महाकुंभ मेले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे कुंभ मेला में लोगों के सामने आते हैं। इसके बाद के दिनों में पहाड़ों में तपस्या करते रहते हैं।
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