
महाकुंभ 2025 के दौरान श्रद्धालुओं के बीच एक नाम विशेष रूप से चर्चाओं में है ‘साध्वी भगवती सरस्वती’ वे परमार्थ निकेतन की प्रमुख मार्गदर्शिका हैं और आध्यात्मिकता के साथ-साथ सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं। अमेरिका में जन्मीं यह साध्वी आज भारत में जल संरक्षण, स्वच्छता और महिला सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर काम कर रही हैं।
साध्वी भगवती सरस्वती का जन्म लॉस एंजिल्स, अमेरिका में हुआ था। वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1996 में भारत यात्रा पर आईं। इस यात्रा के दौरान जब वे ऋषिकेश पहुंचीं, तो मां गंगा की पवित्रता और शांति ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने यहीं रहने का निर्णय ले लिया। उन्होंने स्वामी चिदानंद सरस्वती से दीक्षा ली और सांसारिक जीवन को त्यागकर साध्वी बन गईं।
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ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन में उनका दिन योग और ध्यान से शुरू होता है। वे आश्रम में आने वाले श्रद्धालुओं और अतिथियों की सेवा करती हैं और आध्यात्मिक प्रवचन भी देती हैं। महाकुंभ 2025 के सेक्टर 23 अरैल में स्थित परमार्थ निकेतन शिविर में वे नियमित रूप से प्रवचन और सत्संग करती हैं। साध्वी भगवती सरस्वती परमार्थ निकेतन द्वारा आयोजित विश्व प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक भी हैं।
साध्वी भगवती सरस्वती न केवल आध्यात्मिक बल्कि सामाजिक सुधारों से भी जुड़ी हैं। वे ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलायंस की महासचिव हैं, जो जल संरक्षण, स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रही है। इसके अलावा, उन्होंने दिव्य शक्ति फाउंडेशन के माध्यम से महिलाओं के लिए निःशुल्क शिक्षा और रोजगार प्रशिक्षण के कई कार्यक्रम भी शुरू किए हैं।
साध्वी भगवती सरस्वती का प्रभाव सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर दलाई लामा, प्रिंस चार्ल्स और विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ अपने विचार साझा किए हैं। उनके सामाजिक और आध्यात्मिक योगदान को देखते हुए भारत सरकार और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
साध्वी भगवती सरस्वती का मुख्य उद्देश्य लोगों को आध्यात्मिकता से जोड़ना और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में उनकी सहायता करना है। उनकी शिक्षाएं भारतीय संस्कृति और आधुनिक विज्ञान का अद्भुत संगम हैं। उनके प्रवचन और विचार जीवन को गहराई से समझने और सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करते हैं।
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