गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का उद्घाटन, ले. जनरल डिमरी बोले-सच्ची देशभक्ति है कर्तव्यपालन

Published : Dec 04, 2025, 02:33 PM IST
Foundation Week Gorakhpur

सार

महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक-सप्ताह का उद्घाटन गोरखपुर में हुआ, जिसमें ले. जनरल योगेंद्र डिमरी ने छात्रों को अनुशासन और समर्पण अपनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि सच्ची देशभक्ति कर्तव्यपालन, पर्यावरण सुरक्षा और अच्छे नागरिक बनने में है।

Foundation Week Gorakhpur: गोरखपुर में आयोजित महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक-सप्ताह समारोह 2025 का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (UP ADRF) के उपाध्यक्ष, लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी (से.नि.) मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।

छात्रों को अनुशासन और समर्पण के मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा

उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी ने कहा कि विद्यार्थियों को महाराणा प्रताप के जीवन से साहस, अनुशासन, समानता, समर्पण और प्रतिबद्धता जैसे मूल्य सीखने चाहिए। उन्होंने बताया कि असल देशभक्ति केवल सीमा पर बहादुरी दिखाना नहीं, बल्कि ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करना, पर्यावरण की रक्षा करना और समाज के लिए एक अच्छे नागरिक बनना भी है।

भारतीय शिक्षा मूल्यों पर आधारित संस्थान की सराहना

उन्होंने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना और इसके राष्ट्रसेवा के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि जब देश में अंग्रेजी शासन और अंग्रेजियत का प्रभाव था, तब 1916 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय और 1932 में गोरखपुर में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना कर भारतीय संस्कृति और मूल्यों का संरक्षण किया गया। उन्होंने महंत दिग्विजयनाथ, राष्ट्रसंत महंत अवेद्यनाथ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सभी शिक्षकों के प्रति सम्मान व आभार व्यक्त किया।

महाराणा प्रताप के जीवन से प्रेरणा लेने का संदेश

लेफ्टिनेंट जनरल डिमरी ने कहा कि महाराणा प्रताप का जीवन त्याग, आत्मबलिदान और अटूट समर्पण का प्रतीक है। बिना राजपूत राजाओं के सहयोग के भी उन्होंने मुगल साम्राज्य का सामना किया और अदम्य साहस का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि 17वीं शताब्दी के छत्रपति शिवाजी महाराज हों या 19वीं-20वीं शताब्दी के क्रांतिकारी—सभी ने महाराणा प्रताप से प्रेरणा ली।

अनुशासन और कर्तव्यपालन ही सफलता की कुंजी

अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि सेना में वही युवा चुने जाते हैं, जो अनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण को सर्वोपरि रखते हैं। उन्होंने छात्रों को प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया और कहा कि हार-जीत महत्वपूर्ण नहीं, प्रयास महत्वपूर्ण है। उन्होंने भगवद्गीता के श्लोक “कर्मण्येवाधिकारस्ते…” और सचिन तेंदुलकर के जीवन का उदाहरण देते हुए निरंतर प्रयास का संदेश दिया।

तकनीक, एआई और रोबोटिक्स के प्रति जागरूक रहने की सलाह

उन्होंने छात्रों से कहा कि बदलती तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स के प्रति सतर्क रहें, क्योंकि भविष्य में सफलता के लिए मजबूत चरित्र और तकनीक की समझ दोनों जरूरी होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वास्तविक विजय मन पर होती है, और असली शक्ति हथियारों में नहीं, संस्कारों में होती है।

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