
Premanand Maharaj Shastrarth: आध्यात्मिक जगत में इन दिनों एक नई बहस ने जोर पकड़ लिया है। राधा रानी के अनन्य उपासक और प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज तथा चित्रकूट के जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बीच शास्त्रार्थ की मांग लगातार बढ़ रही है। दोनों संतों के अनुयायी इस पर अड़े हैं कि इनके बीच शास्त्रार्थ होना चाहिए, ताकि स्पष्ट हो सके कि कौन-सा मत अधिक प्रामाणिक है।
यह पूरा मामला एक वायरल वीडियो से शुरू हुआ। वीडियो में जगद्गुरु रामभद्राचार्य कथा के दौरान यह कहते दिखे कि राम नाम, कृष्ण नाम से अधिक प्रभावशाली है। साथ ही उन्होंने कृष्ण के रास पर भी अपनी टिप्पणी दी। यह बातें प्रेमानंद महाराज के अनुयायियों को बिल्कुल स्वीकार नहीं हुईं। उनका मानना है कि कृष्ण का नाम और उनकी लीलाएं सर्वोच्च हैं। इसके बाद सोशल मीडिया पर दोनों संतों के भक्तों के बीच बहस छिड़ गई, जो अब शास्त्रार्थ की मांग तक पहुंच गई है।
यह भी पढ़ें: Shubhanshu Shukla Scholarship: यूपी में स्पेस टेक्नोलॉजी के छात्रों के लिए बड़ा तोहफा
अब सवाल उठता है कि आखिर शास्त्रार्थ होता क्या है। शास्त्रार्थ का अर्थ है शास्त्रों पर आधारित बहस या संवाद। यह भारत की प्राचीन परंपरा है, जिसमें दो या अधिक विद्वान किसी धार्मिक या दार्शनिक विषय पर शास्त्रों के आधार पर तर्क-वितर्क करते हैं। इसका उद्देश्य किसी को नीचा दिखाना नहीं, बल्कि सत्य की स्थापना और ज्ञान का प्रसार करना होता है।
दोनों संतों के अनुयायी अपनी-अपनी मान्यताओं को साबित करने के लिए शास्त्रार्थ चाहते हैं। भक्तों का कहना है कि इससे न केवल उनके संत के विचारों की श्रेष्ठता स्थापित होगी, बल्कि धार्मिक मान्यताओं को लेकर जो भ्रम फैला है, वह भी दूर होगा। हालांकि, अभी तक न तो प्रेमानंद महाराज और न ही रामभद्राचार्य ने इस विवाद पर कोई प्रतिक्रिया दी है।
इतिहास में शास्त्रार्थ का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच हुआ था। कहा जाता है कि इस वाद-विवाद में मंडन मिश्र की पत्नी उभय भारती ने भी शंकराचार्य को चुनौती दी थी। अंततः शंकराचार्य ने मंडन मिश्र को शास्त्रार्थ में पराजित किया और बाद में मंडन मिश्र उनके अनुयायी बन गए।
यह भी पढ़ें: UP Monsoon 2025: यूपी के 30 जिलों में हुई बारिश, अगले हफ्ते फिर मौसम बदलेगा
उत्तर प्रदेश में हो रही राजनीतिक हलचल, प्रशासनिक फैसले, धार्मिक स्थल अपडेट्स, अपराध और रोजगार समाचार सबसे पहले पाएं। वाराणसी, लखनऊ, नोएडा से लेकर गांव-कस्बों की हर रिपोर्ट के लिए UP News in Hindi सेक्शन देखें — भरोसेमंद और तेज़ अपडेट्स सिर्फ Asianet News Hindi पर।