UP Nikay Chunav: दिग्गज नेताओं ने चुनाव प्रचार से खींचे हाथ, विधायक पति ने अकेले संभाली कमान, गुटबाजी डुबा देगी?

Published : May 07, 2023, 08:40 PM IST
nagar nikay chunav

सार

मेरठ मेयर सीट से सपा ने सरधना विधाय​क अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को उम्मीदवार बनाया है। चुनाव प्रचार से सपा के दिग्गज नेताओं ने किनारा कर लिया तो लोग मायनों की तलाश में जुट गए। 

मेरठ (Meerut News): मेरठ मेयर सीट से सपा ने सरधना विधाय​क अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को उम्मीदवार बनाया है। चुनाव प्रचार से सपा के दिग्गज नेताओं ने किनारा कर लिया तो लोग मायनों की तलाश में जुट गए। अब इलाके के लोगों की जुबां पर एक एक नेता के प्रचार से किनारा करने की वजह भी है। बहरहाल, चुनाव प्रचार की कमान अकेले विधायक प्रधान संभाले हुए हैं। इलाके में चर्चा है कि पार्टी की गुटबाजी चुनावी नैया डुबा भी सकती है। इसका सीधा फायदा बीजेपी उम्मीदवार को मिलता दिख रहा है।

विधायक की पत्नी को टिकट मिलते ही बढ़ी नाराजगी

इसकी वजह भी खास है। दरअसल, जब विधायक अतुल प्रधान की पत्नी को सपा ने टिकट थमाया तो सपा के स्थानीय दिग्गज नेताओं को बड़ा झटका लगा। मेरठ शहर से विधायक रफीक अंसारी अपनी पत्नी के लिए टिकट चाहते थे। पूर्व जिलाध्यक्ष अपना खुद का टिकट पक्का कराना चाहते थे। उनके सपनों पर पानी फिर गया। इस वजह से इन नेताओं ने चुनाव प्रचार से किनारा कर लिया।

इन नेताओं ने खुद को उपेक्षित महसूस किया

विधायक रफीक अंसारी की नाराजगी जगजाहिर है। रोड शो निकालने पर वह नाराज हैं, क्योंकि उन्हें इसके बारे में बताया नही गया। वहीं पूर्व मंत्री और किठौर से विधायक शाहिद मंजूर के आवास से चंद कदमों की दूरी पर सभा हुई। पर उन्हें पूछा नहीं गया।

एक लाख मतदाता अंसारी समाज से

इसकी चर्चा इसलिए भी हो रही है, क्योंकि मेरठ नगर निगम में मुस्लिम समाज के 4 लाख मतदाता हैं। इनमें अंसारी समाज के मतदाताओं की संख्या करीब एक लाख है। यदि उन वोटरों ने पाला बदला तो उसका असर चुनाव पर पड़ना तय माना जा रहा है। मेरठ नगर निगम में मेयर पद के लिए बीजेपी की तरफ से पूर्व मेयर हरिकांत अहलूवालिया, कांग्रेस से नसीम कुरैशी, आम आदमी पार्टी से रिचा सिंह और बसपा से हशमत मलिक प्रत्याशी हैं। सपा की तरफ से सीमा प्रधान उम्मीदवार हैं।

गुटबाजी का असर चुनाव पर

सपा के स्थानीय नेताओं का कहना है कि दिग्गज नेताओं की प्रचार से दूरी का नुकसान उम्मीदवार को उठाना पड़ सकता है। अब तक दलित मतदाताओं को बसपा का बेस वोट बैंक माना जाता था। पर अब उनका बसपा से मोह टूट चुका है। दिग्गज नेताओं और निवर्तमान मेयर सुनीता वर्मा की प्रचार से दूरी की वजह से यह वोट भाजपा की तरफ जा सकता है। अंसारी समाज के वोट भी बंटने की संभावना है। ऐसे में गुटबाजी सपा की नैया डुबाती दिख रही है।

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