"पार्टी को नहीं मेरी जरूरत" कह रितेश पांडे ने छोड़ दी BSP, भाजपा में हुए शामिल

उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर से सांसद रितेश पांडे बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। रितेश पांडे ने कहा है कि बसपा को उनकी जरूरत नहीं रह गई थी।

 

लखनऊ। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मायावती की पार्टी BSP (बहुजन समाज पार्टी) से सांसद रितेश पांडे ने दल बदल लिया है। उन्होंने बसपा से इस्तीफा दिया और भाजपा में शामिल हो गए।

रितेश उत्तर प्रदेश के लोकसभा सीट अंबेडकर नगर से सांसद हैं। उनके पिता राकेश पांडे उत्तर प्रदेश विधानसभा में समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। भाजपा में शामिल होने के बाद रितेश ने कहा, "मैं पिछले 15 साल से बहुजन समाज पार्टी के नेतृत्व में काम करते आया हूं। मुझे इस पार्टी से बहुत कुछ सीखने को मिला। चाहे विधायक रहूं या सांसद, मायावती ने मेरा नेतृत्व किया। मुझे उनपर कुछ कमेंट नहीं करना है। मैंने अपने पत्र में विस्तार से बताया है कि क्यों बसपा छोड़ रहा हूं।"

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मायावती के नाम पत्र लिखकर दिया इस्तीफा

रितेश ने कहा, "पिछले पांच साल में मेरे क्षेत्र में जो काम हुआ है उसे देखते हुए मैंने भाजपा में आने का फैसला किया। जो काम हुआ वह जमीन पर दिख रहा है। लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। मैं प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण से प्रेरित हूं। इस लक्ष्य की दिशा में काम करने के लिए भाजपा में शामिल हुआ हूं।"

 

 

इससे पहले रितेश ने मायावती के नाम पत्र लिखकर इस्तीफा दिया था। अपने पत्र में उन्होंने लिखा, "सार्वजनिक जीवन में बसपा के माध्यम से जब से मैंने प्रवेश किया, आपका मार्गदर्शन मिला। पार्टी पदाधिकारियों का सहयोग मिला और पार्टी के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं ने मुझे हर कदम पर अंगुली पकड़कर राजनीति एवं समाज के गलियारे में चलना सिखाया। पार्टी ने मुझे उत्तर प्रदेश विधानसभा और लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया। पार्टी ने मुझे लोकसभा में संसदीय दल के नेता रूप में कार्य करने का अवसर भी दिया। इस विश्वास के लिए मैं आपके, पार्टी के, पार्टी कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं।"

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रितेश ने कहा, "लंबे समय से मुझे न तो पार्टी की बैठकों में बुलाया जा रहा है और न ही नेतृत्व के स्तर पर संवाद किया जा रहा है। मैंने आपसे और शीर्ष पदाधिकारियों से संपर्क के लिए, भेंट के लिए अनगिनत प्रयास किए, लेकिन उनका कोई परिणाम नहीं निकला। इस दौरान मैं अपने क्षेत्र के कार्यकर्ताओं और समर्थकों से मिलता रहा। मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि पार्टी को मेरी सेवा और उपस्थिति की अब आवश्यकता नहीं है। इसलिए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र देने के अलावा मेरे पास कोई विकल्प नहीं है।"

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