अफजाल अंसारी पर फैसला सुनाते समय जज बोले- बड़ा भाई निभाता अपना फर्ज तो छोटा न बनता माफिया

कोर्ट ने अफजाल अंसारी पर फैसला सुनाने के दौरान मुंशी प्रेमचंद की कहानी का जिक्र किया। जज ने कहा कि अगर बड़ा भाई अपना फर्ज निभाता तो छोटा भाई माफिया नहीं बनता।

Contributor Asianet | Published : May 1, 2023 5:19 AM IST

लखनऊ: माफिया मुख्तार अंसारी और उसके बड़े भाई सांसद अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी पाया गया। उनके खिलाफ सजा के ऐलान के दौरान जज ने एमपी-एमएलए कोर्ट के जज ने मुंशी प्रेमचंद की कहानी का जिक्र भी किया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार जज ने अफजाल अंसारी से कहा कि मुंशी प्रेमचंद की कहानी में दो भाइयों का जिक्र है। इस कहानी में बड़ा भाई अपना फर्ज निभाता है और छोटे भाई को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है। हालांकि अफजाल अंसारी के द्वारा ऐसा नहीं किया गया।

'अफजाल ने दी होती सही सलाह तो आज खिलाड़ी होता मुख्तार'

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जज के द्वारा कहा गया कि मुख्तार अंसारी ने जब पहली बार ही अपराध की दुनिया में कदम रखा था तो उसी समय अफजाल अंसारी को उन्हें रोकना चाहिए था। अगर अफजाल अंसारी ने ऐसा किया होता तो शायद मुख्तार आज अपराध की दुनिया में नहीं होता। वह इस समय एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी होता। आपको बता दें कि गाजीपुर के एडीजीसी क्रिमिनल नीरज श्रीवास्तव के द्वारा फैसला सुनाया गया। उसी दौरान उन्होंने बड़े भाई साहब कहानी का उल्लेख किया। इसके बाद ही सजा का ऐलान किया गया। आपको बता दें कि रविवार को इस फैसले की प्रति को लोकसभा में नहीं भेजा जा सका। हालांकि सोमवार को फैसले की प्रति लोकसभा में जाएगा। इस बीच अफजाल अंसारी के द्वारा इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती भी दी जा सकती है।

दो बार बने सांसद, दोनों बार जाना पड़ा जेल

आपको बता दें कि अफजाल अंसारी गाजीपु की मोहम्मदाबाद सीट से 5 बार विधायक रहे हैं। इसी के साथ वह दो बार सांसद चुने गए हैं। 2004 में जब वह 14वीं लोकसभा चुनाव में संसद सदस्य बने थे तो उसी के बाद 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय समेत 7 लोगों की हत्या की साजिश रचने के आरोप में उन्हें जेल जाना पड़ा था। उसके बाद उन्हें 2009 में टिकट नहीं दिया गया और अफजाल बसपा में चले गए। 2014 में अफजाल ने कौनी एकता दल से बलिया से चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वह कुनबे के साथ 2017 में बसपा में शामिल हुए। 2019 में लोकसभा चुनाव में वह गाजीपुर लोकसभा से प्रत्याशी बनकर उतरे और जीत हासिल की। हालांकि इस बार भी सांसद बनने के बाद उन्हें जेल जाना पड़ा।

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