
वाराणसी। उत्तर प्रदेश को ‘उत्तम प्रदेश’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध डबल इंजन सरकार की नीतियां अब पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल क्रियान्वयन के कारण प्रदेश ने जल संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं।
इसी के परिणामस्वरूप मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छठे राष्ट्रीय जल पुरस्कार (2024) समारोह में जल संरक्षण में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले जिलों को सम्मानित किया। उत्तरी क्षेत्र में मीरजापुर को पहला, वाराणसी को दूसरा और जालौन को तीसरा स्थान प्रदान किया गया। वाराणसी को 'सर्वश्रेष्ठ जिला' श्रेणी में द्वितीय स्थान मिला।
वाराणसी जिले को इस उपलब्धि पर ₹2 करोड़ का नकद पुरस्कार दिया गया। साथ ही जल संचय जन भागीदारी श्रेणी में गोरखपुर नगर निगम को देशभर के शीर्ष 10 नगर निगमों में तीसरा स्थान मिला है। इन राष्ट्रीय सम्मानों से यह स्पष्ट होता है कि योगी सरकार की दूरदर्शी नीतियां और स्थानीय प्रशासन के प्रयास जल संरक्षण और सतत विकास में बड़े बदलाव ला रहे हैं।
वाराणसी ने जल संरक्षण के क्षेत्र में कई प्रभावी कदम उठाए हैं। जिले में 25,000 से अधिक जल संचयन संरचनाएं बनाई गईं, जिससे भूजल स्तर में सकारात्मक सुधार दर्ज किया गया। इसके साथ ही नदी कायाकल्प परियोजनाओं और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई गई। इन पहलों ने वाराणसी को उत्तर भारत में जल प्रबंधन का एक मॉडल जिले के रूप में स्थापित किया है।
यह राष्ट्रीय सम्मान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मजबूत और प्रभावी जल नीतियों का प्रत्यक्ष परिणाम है। इन नीतियों के तहत जल संचयन, जल प्रबंधन और जल उपयोग की श्रेष्ठ प्रथाओं को बढ़ावा मिला। मीरजापुर को प्रथम, वाराणसी को द्वितीय और जालौन को तृतीय स्थान मिलना यह दर्शाता है कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में जल संरक्षण के प्रति गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं। ये उपलब्धियां न सिर्फ प्रदेश बल्कि देश के अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणादायक उदाहरण बन रही हैं।
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