
PM Modi Varanasi Visit: शनिवार की सुबह, काशी की पवित्र धरती पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे, तो वहां केवल विकास योजनाओं की घोषणा ही नहीं हुई, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव और सांस्कृतिक गौरव का अद्भुत संगम देखने को मिला। सेवापुरी के बनौली गांव में आयोजित इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने करीब 2183.45 करोड़ रुपये की 52 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर एक नया संदेश दिया: “जो जितना पिछड़ा, उसे उतनी प्राथमिकता।”
प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर के 9.70 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में पीएम किसान सम्मान निधि की 20वीं किस्त भेजी। यह धनराशि करीब 20,500 करोड़ रुपये है, जिसका सीधा लाभ वाराणसी के भी 2.21 लाख किसानों को मिला। इससे पहले, 18 जून 2024 को 9.26 करोड़ किसानों को यह लाभ दिया गया था।
पीएम ने आंकड़ों के ज़रिए बताया कि अब तक देश के किसानों को करीब पौने चार लाख करोड़ रुपये, यूपी के किसानों को 90 हजार करोड़ और सिर्फ बनारस के किसानों को 900 करोड़ रुपये की मदद दी गई है।
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अपने संबोधन में पीएम मोदी ने विपक्ष पर भी तंज कसा। उन्होंने कहा, “हम तीन लाख करोड़ की योजना से लाखों ‘लखपति दीदी’ बनाने जा रहे हैं। ये सुनकर सपा वाले साइकिल लेकर भाग जाएंगे।” यह टिप्पणी न केवल राजनैतिक संदेश थी, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में हाल ही में सफल रहे 'ऑपरेशन सिंदूर' का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “पहलगाम आतंकी हमले के समय मैंने बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना की थी कि पीड़ित परिवारों को शक्ति दें। मैंने अपनी बेटियों से किया वादा निभाया और आज इस अभियान की सफलता बाबा के चरणों में समर्पित करता हूं।” यह वक्तव्य श्रोताओं के बीच भावनात्मक जुड़ाव का केंद्र बना।
कार्यक्रम की एक और मानवीय झलक तब दिखी, जब पीएम मोदी ने मंच से दृष्टिबाधित छात्रा को लो विजन चश्मा भेंट किया और उससे संवाद किया। इसके साथ ही जिले के 2025 दिव्यांगजनों को अत्याधुनिक उपकरण प्रदान किए गए। पीएम ने बताया कि पहले ये उपकरण बहुत महंगे थे, लेकिन अब इन्हें सरकारी मदद से आम लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भोजपुरी में काशीवासियों का अभिवादन करते हुए कहा, “सावन का महीना हो, काशी जैसा पवित्र स्थान हो और किसानों से जुड़ने का अवसर मिले-इससे बड़ा सौभाग्य क्या हो सकता है।” उन्होंने आगे कहा कि उनकी इच्छा थी कि काशी विश्वनाथ और मार्कण्डेय महादेवके दर्शन करें, लेकिन श्रद्धालुओं को असुविधा न हो, इसलिए उन्होंने मंच से ही प्रणाम किया।
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