Pradeep Kumar Dwivedi success story: विदेश में देखी एक फसल, भारत में उगाकर बना डाली करोड़ों की कंपनी!

Published : Feb 11, 2025, 10:23 AM IST
Pradeep Kumar Dwivedi success story

सार

Pradeep Kumar Dwivedi success story : प्रदीप कुमार द्विवेदी ने कॉर्पोरेट जगत को छोड़कर ऑर्गेनिक खेती में कदम रखा और आज 40,000 किसानों को साथ लेकर ₹48 करोड़ का कारोबार कर रहे हैं। जानिए उनकी सफलता की कहानी।

Pradeep Kumar Dwivedi success story :  एक वक्त था जब खेती को केवल पारंपरिक आय का साधन माना जाता था, लेकिन अगर जुनून और नई सोच हो, तो खेती से भी करोड़ों कमाए जा सकते हैं। प्रयागराज के प्रदीप कुमार द्विवेदी ने इसे सच कर दिखाया है। वह ऑर्गेनिक फार्मिंग (Organic Farming) के जरिए न सिर्फ खुद सफल हुए, बल्कि 40,000 किसानों को भी आर्थिक रूप से सशक्त बना चुके हैं। उनकी सालाना कमाई 48 करोड़ रुपये तक पहुंच चुकी है। आइए जानते हैं, कैसे एक कॉर्पोरेट बैकग्राउंड वाला व्यक्ति खेती में क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स की दुनिया में छा गया।

कॉर्पोरेट करियर से Organic Farming की ओर

प्रदीप कुमार द्विवेदी की शिक्षा बेहद मजबूत रही है। उन्होंने HBTI, कानपुर से फूड साइंस में बीटेक और केमिकल इंजीनियरिंग में एमटेक किया। इसके बाद उन्होंने 26 साल तक R&D, प्रोडक्ट इंजीनियरिंग, क्वालिटी एनालिसिस, फार्मास्यूटिकल्स और FMCG सेक्टर में काम किया।

लंबे समय तक बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कार्यरत रहने के बाद उनके मन में सवाल उठने लगे—क्या मैं हमेशा नौकरी करता रहूंगा? क्या मेरी मेहनत से किसानों को फायदा नहीं मिल सकता? इसी सोच ने उन्हें खेती की ओर मोड़ दिया।

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2010 में नौकरी छोड़ी, 300 एकड़ से की शुरुआत

2010 में, जब उनके करियर का ग्राफ ऊपर था, तब उन्होंने कॉर्पोरेट जगत को अलविदा कहकर ऑर्गेनिक फार्मिंग शुरू करने का फैसला किया। उन्होंने फतेहपुर जिले में 300 एकड़ भूमि पर खेती और कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की शुरुआत की।

शुरुआत में उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी तकनीकी जानकारी और मार्केटिंग स्किल्स ने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की।

 

 

दक्षिण अमेरिका से प्रेरणा, भारत में क्विनोआ की खेती

प्रदीप की जिंदगी में बड़ा मोड़ तब आया जब वह दक्षिण अमेरिका के पेरू गए और वहां की एक सुपरफूड फसल क्विनोआ से परिचित हुए। उन्होंने तय किया कि इस फसल को भारत में उगाया जा सकता है।

उन्होंने फतेहपुर जिले के बहुआ गांव में सिर्फ चार किसानों के साथ क्विनोआ की खेती शुरू की। हालांकि, शुरू में किसानों को इस नई फसल को अपनाने के लिए मनाना आसान नहीं था, लेकिन जब उन्हें इसका लाभ दिखा, तो धीरे-धीरे किसानों का रुझान बढ़ता गया।

आज 40,000 किसान जुड़े, करोड़ों की कमाई

प्रदीप की कंपनी अब उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार और छत्तीसगढ़ के 40,000 से अधिक किसानों के साथ काम कर रही है।

किसानों को बीज, तकनीकी सहायता, कटाई के बाद की प्रक्रिया और मार्केटिंग सपोर्ट देकर उन्होंने खेती की पूरी प्रक्रिया को व्यवस्थित किया। उनकी कंपनी अब क्विनोआ, चिया सीड्स, मोरिंगा, अलसी और जैविक मसालों की खेती कर रही है।

जहां उनकी शुरुआत महज 5 लाख रुपये के कारोबार से हुई थी, आज उनकी कंपनी 48 करोड़ रुपये सालाना का कारोबार कर रही है।

कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित

प्रदीप कुमार द्विवेदी को उनके इनोवेशन और किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं:

  • सर्वश्रेष्ठ उद्यमी पुरस्कार (2016)
  • सर्वश्रेष्ठ अभिनव जैविक उत्पाद निर्माण पुरस्कार (2018)
  • सर्वश्रेष्ठ जैविक किसान पुरस्कार (2021)
  • इसके अलावा, उन्होंने भारत में क्विनोआ की खेती पर एक किताब भी लिखी है, जिससे नए किसान जैविक खेती के बारे में सीख सकें

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