महाकुंभ 2025: ज्योतिषाचार्य से जानिए, स्नान-दान का महत्व, खास मंत्र और मुहूर्त

Published : Jan 12, 2025, 05:41 PM IST
Prayagraj mahakumbh 2025 astrologer explains importance of bath charity special mantras and auspicious muhurat

सार

महाकुंभ 2025 के साथ मकर संक्रांति का पर्व आस्था और उल्लास लेकर आया है। गंगा स्नान, दान-पुण्य और मंत्र जाप से श्रद्धालुओं का जीवन धन्य हो रहा है।

प्रयागराज |  महाकुंभ 2025 का आगाज हो चुका है, और इस अद्भुत पर्व के साथ मकर संक्रांति का पावन दिन श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक उन्नति का अवसर लेकर आया है। महाकुंभ आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। इस बार मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान, तिल दान और विशेष मंत्र जाप का महत्व विशेष रूप से बढ़ गया है।

मकर संक्रांति 2025: शुभ मुहूर्त और ज्योतिषीय महत्व

इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी, और यह दिन विशेष रूप से शुभ रहेगा। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस दिन कोई भी भद्रा नहीं होगी, इसलिए पूरे दिन स्नान, दान और पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है। महापुण्यकाल सुबह 9:03 से 10:50 तक रहेगा। मकर संक्रांति सूर्य के धनु से मकर राशि में प्रवेश का पर्व है, जिससे सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और शुभ ऊर्जा का संचार होता है।

गंगा स्नान का महत्व

मकर संक्रांति के दिन गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि पुण्य का भी अर्जन होता है। यह समय जीवन को शुद्ध करने, आत्मा को शांति और सौभाग्य प्राप्त करने का है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सात जन्मों तक का कल्याण होता है।

दान का महत्व और मंत्र जाप

दान को मकर संक्रांति का महत्वपूर्ण अंग माना गया है। तिल और गुड़ का दान पुण्य में वृद्धि करता है। शास्त्रों में इसे "तिल संक्रांति" भी कहा जाता है। वहीं, खिचड़ी, नमक और घी का दान भी जीवन को सुख और समृद्धि से भर देता है।

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इस मंत्र का करें जाप

मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव के 12 नामों का जाप करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। यह मंत्र जीवन में सकारात्मकता का संचार करते हैं।

  • "ॐ सूर्याय नमः"
  • "ॐ आदित्याय नमः"

पतंग उत्सव और पकवानों की धूम

मकर संक्रांति का पर्व पतंग उड़ाने और तिल-गुड़ के पकवान बनाने के लिए भी प्रसिद्ध है। यह दिन पूरे परिवार के साथ खुशी और आनंद का पर्व होता है, जहां आसमान में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ती हैं और घरों में पारंपरिक व्यंजन बनते हैं।

महाकुंभ में आस्था का महासागर

महाकुंभ 2025 केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक ही नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का जीवंत उदाहरण भी है। यहां श्रद्धालु गंगा किनारे दीप जलाकर आरती में भाग ले रहे हैं, मंत्रोच्चार के बीच आस्था की यह अलौकिक छटा हर किसी के दिल में उत्साह और शांति का संचार करती है। महाकुंभ 2025 और मकर संक्रांति का यह संगम न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सामाजिक एकता और भारतीय संस्कृति के सम्मान का भी प्रतीक है।

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