
महाकुम्भ नगर। महाकुंभ त्याग और तपस्या के साथ विभिन्न साधनाओं के संकल्प का भी पर्व है । प्रयागराज महाकुम्भ साधनाओं के विविध संकल्पों का साक्षी बन रहा है ऐसी ही एक साधना है पंच धूनी तपस्या जिसे अग्नि स्नान की साधना भी कहा जाता है जिसकी शुरुआत बसंत पंचमी के अमृत स्नान पर्व से हो गई ।
कुम्भ क्षेत्र जप ,तप और साधना का क्षेत्र है जिसके हर कोने में कोई न कोई साधक अपनी साधना में रत नज़र आएगा । महाकुम्भ के तपस्वी नगर में बसंत पंचमी से एक खास तरह की साधना का आरंभ हुआ है जिसे लेकर श्रद्धालुओं में खासा कौतूहल है। इस साधना को पंच धूनी तपस्या कहा जाता है जिसे आम भक्त अग्नि स्नान साधना के नाम से भी जानते हैं। इस साधना में साधक अपने चारों तरफ जलती आग के कई घेरे बनाकर उसके बीच में बैठकर अपनी साधना करता है । जिस आग की हल्की से आंच के सम्पर्क में आने से इंसान की त्वचा झुलस जाती है उससे कई गुना अधिक आंच के घेरे में बैठकर ये तपस्वी अपनी साधना करते हैं ।
वैष्णव अखाड़े के खालसा में इस अग्नि स्नान की साधना की परम्परा है जो बेहद त्याग और संयम की स्थिति में पहुंचने के बाद की जाती है । श्री दिगंबर अनी अखाड़े में महंत राघव दास बताते हैं कि अग्नि साधना वैष्णव अखाड़ों के सिरमौर अखाड़े दिगंबर अनी अखाड़े के अखिल भारतीय पंच तेरह भाई त्यागी खालसा के साधकों की विशेष साधना है । यह साधना अठारह वर्षो की होती है । इस अनुष्ठान को पूरा करने के पीछे न सिर्फ साधना के उद्देश्य की पूर्ति करनी होती है बल्कि साधु की क्षमता और सहनशीलता का परीक्षण भी होता है। लगातार 18 वर्ष तक साल के 5 माह इस कठोर तप से गुजरने के बाद उस साधु को वैरागी की उपाधि मिलती है।
उत्तर प्रदेश में हो रही राजनीतिक हलचल, प्रशासनिक फैसले, धार्मिक स्थल अपडेट्स, अपराध और रोजगार समाचार सबसे पहले पाएं। वाराणसी, लखनऊ, नोएडा से लेकर गांव-कस्बों की हर रिपोर्ट के लिए UP News in Hindi सेक्शन देखें — भरोसेमंद और तेज़ अपडेट्स सिर्फ Asianet News Hindi पर।