प्रयागराज, उत्तर प्रदेश | महाकुंभ 2025 की भव्यता और आस्था का संगम, गदा माधव मंदिर के बिना अधूरा सा लगता है। यमुनापार स्थित यह प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से अहम है, बल्कि यह स्थान भगवान राम के साथ जुड़े अद्वितीय किवदंतियों का भी गवाह है। जहां लाखों श्रद्धालु महाकुंभ के दौरान पुण्य की डुबकी लगाते हैं, वहीं गदा माधव मंदिर श्रद्धा, आस्था और इतिहास का अद्भुत मिश्रण प्रस्तुत करता है।
गदा माधव मंदिर प्रयागराज के द्वादश माधव मंदिरों में से एक है, लेकिन इसकी आस्था और इतिहास की गहराई इसे बाकी सभी मंदिरों से विशिष्ट बनाती है। यह मंदिर यमुनापार स्थित नैनी क्षेत्र में है, जो छिवकी रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। यहाँ भगवान विष्णु की पूजा "गदा माधव" के रूप में होती है, जो इस मंदिर को धार्मिक दृष्टि से खास बनाती है।
गदा माधव मंदिर का एक बेहद दिलचस्प पहलू यह है कि यह स्थान भगवान राम के वनवास से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि जब भगवान राम वनवास के दौरान इस क्षेत्र से गुजरे थे, तो उन्होंने यहीं एक रात विश्राम किया था। इसी स्थान पर शयन माता का मंदिर स्थापित किया गया है, जो श्रद्धालुओं के लिए भगवान राम की याद को जीवित करता है।
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गदा माधव की पूजा के बारे में मान्यता है कि विशेष रूप से वैशाख माह में यहां पूजा करने से काल का भय समाप्त होता है और जीवन में शांति का वास होता है। वहीं, भाद्रपद शुक्ल पंचमी के दिन यहाँ विशेष पूजा का आयोजन होता है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इस दिन पूजा करने से श्रद्धालु की सभी परेशानियाँ दूर हो जाती हैं और उनकी जीवन कला में वृद्धि होती है। इस दिन का आयोजन विशेष रूप से बहुत भव्य होता है, और यहां विशाल मेला लगता है, जिसमें लाखों भक्त जुटते हैं।
गदा माधव मंदिर को भगवान माधव की तीसरी पीठ के रूप में भी जाना जाता है, जो इसे और भी खास बनाता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी यह क्षेत्र श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बन चुका है।
महाकुंभ 2025 के दौरान, गदा माधव मंदिर की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी। यहाँ आने वाले श्रद्धालु न केवल भगवान राम के विश्राम स्थल का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे, बल्कि गदा माधव के रूप में भगवान विष्णु की पूजा करके जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की कामना करेंगे। महाकुंभ के इस अद्भुत संगम में गदा माधव मंदिर श्रद्धा और आस्था की नई परिभाषा पेश करेगा।
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