अनिरुद्धाचार्य को प्रेमानंद जी महाराज से 5 उपदेश! आप भी जानिए

Published : Jan 28, 2025, 10:42 AM IST
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सार

अनिरुद्धाचार्य महाराज ने प्रेमानंद जी महाराज से मुलाकात कर जीवन के अमूल्य उपदेश प्राप्त किए। धन, वाणी और संगति पर संयम रखने, धर्म का पालन करने जैसे विषयों पर चर्चा हुई।

सनातन धर्म के प्रचारक अनिरुद्धाचार्य महाराज ने हाल ही में प्रेमानंद जी महाराज से उनके आश्रम में मुलाकात की। इस दौरान उन्हें जीवन के कुछ अमूल्य उपदेश मिले, जिनसे उन्हें निष्कलंक जीवन जीने, धर्म का प्रचार करने और वैभव को प्राप्त करने के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिली।

आपको याद दिला दें कि अनिरुद्धाचार्य महाराज अक्सर अपने बयानों की वजह से चर्चा में रहते हैं। बिग बॉस जैसे रियलिटी शो में अतिथि के रूप में आने से भी उन्होंने विवादों को जन्म दिया था। इस बार प्रेमानंद जी महाराज से मिलने का अवसर उन्हें आधिकारिक तौर पर गौरी गोपाल आश्रम में भगवान लक्ष्मी नारायण की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर मिला था।

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प्रेमानंद महाराज की नसीहतें

प्रेमानंद जी महाराज ने अनिरुद्धाचार्य महाराज से मुलाकात के दौरान उन्हें जीवन में कुछ महत्वपूर्ण बातें बताईं, जो किसी भी साधक के लिए प्रेरणादायक साबित हो सकती हैं। इन नसीहतों ने अनिरुद्धाचार्य महाराज को अपने जीवन में और भी ध्यानपूर्वक रहने और सनातन धर्म के प्रचार में स्थिरता बनाए रखने की प्रेरणा दी।

1. धन और वाणी पर संयम रखना

प्रेमानंद जी महाराज ने कहा, “जीवन में कभी भी धन की लोलुपता ना रखें। धर्म का पालन करें और वाणी में शास्त्र सम्मत शब्दों का प्रयोग करें। जब तक आपका उद्देश्य सेवा और समाज की भलाई है, तब तक आप सच्चे मार्ग पर हैं।"

2. सावधानी से सहयोगी चुनना

प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी बताया कि किसी भी कार्य में सहयोगी और साथी चुनते समय सावधानी रखनी चाहिए। “कभी भी विश्वास न करें, क्योंकि कुछ लोग आपके पतन के कारण बन सकते हैं। इसलिए हमेशा धर्म का आश्रय लें और आपकी राह पर कोई आंच ना आए, यह सुनिश्चित करें।”

3. वाणी का संयम और मौन

प्रेमानंद जी महाराज ने अनिरुद्धाचार्य जी को यह सलाह दी कि जब भी कोई सवाल पूछा जाए, तो इसका उत्तर शास्त्र सम्मत और उचित जानकारी के आधार पर ही दें। उन्होंने कहा "मौन रहना भी एक धर्म है, जब तक सवाल करने वाला योग्य न हो”

4. जाने का सही स्थान

प्रेमानंद जी महाराज ने कहा कि हर निमंत्रण को स्वीकार करते वक्त यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वहां जाने से धर्म की प्रतिष्ठा पर कोई आंच ना आए। “आपका यश और धर्म दोनों महत्वपूर्ण हैं, इसलिए जहां आपके सम्मान और धर्म की रक्षा होती हो, वहां ही जाएं।”

5. कंचन और कामिनी पर संयम

अंत में, प्रेमानंद जी महाराज ने अनिरुद्धाचार्य जी को संयमित जीवन जीने की सलाह दी, खासकर कंचन (धन) और कामिनी (स्त्री) के विषय में। “धर्म के मार्ग पर चलने से समस्त वैभव स्वतः ही आपके पास आएगा।”

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