रामनवमी उत्सव: अयोध्या मंदिर में हुआ रामलला का 'सूर्य तिलक', जानें कब और कैसे हुआ संभव

Published : Apr 17, 2024, 08:51 AM ISTUpdated : Apr 17, 2024, 12:34 PM IST
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सार

अयोध्या राम मंदिर में रामनवमी को लेकर खास तैयारियां कई गई हैं। राम जन्मोत्सव पर अयोध्या स्थित मंदिर में रामलला का सूर्य तिलक हुआ। आईआईटी टीम की ओर से भी इसके लिए खास तैयारियां की गई थीं जिसके जरिेया सूर्य अभिषेक संपन्न हुआ। 

लखनऊ। रामनवमी उत्सव आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन सबसे ज्यादा रौनक अयोध्या में नजर आ रही है। रामनवमी को लेकर अयोध्या राम मंदिर में बड़े उत्सव की तैयारी को लेकर कार्यक्रम किए जा रहे हैं। बुधवार को रामनवमी पर अयोध्या में रामलला का सूर्य तिलक किया गया। इसके लिए आईआईटी रुड़की टीम ने एक दिन पहले ही गर्भगृह में सारी तैयारियां कर रखी थी। 

रुड़की आईआईटी की टीम ने की थी सूर्य तिलक की तैयारी
बुधवार को राम नवमी पर दोपहर में सूर्य की किरणें अयोध्या में राम लला के माथे पर पड़ीं तो शंखनाद के साथ मंदिर में घंट घड़ियाल बजने लगे। इसके लिए गर्भगृह में कई शीशे और लेंस आदि के साथ रुड़की आईआईटी के वैज्ञानिकों की टीम ने पूरी प्रिपरेशन कर रखी थी। 12 बजे इन शीशों और लेंस की मदद से रामलला का सूर्य तिलक संपन्न हुआ। राम मंदिर निर्माण के बाद यह पहली रामनवमी पड़ी है। 

सूर्य तिलक क्यों महत्वपूर्ण?
रामनवमी पर आयोध्या स्थित राम मंदिर में रामलला का ‘सूर्य तिलक’ आज दोपहर 12 बजे संपन्न हुआ। इसे ‘सूर्य अभिषेक’ भी कह सकते हैं। इस अद्भुत अनुष्ठान में सूर्य देव ने अपनी किरणों से रामलला का मस्तक चूमा। इस दौरान सूर्य किरणें ठीक रामलला का माथे पर केंद्रित रहीं जिससे प्रभु का ललाट चमकता रहा। यह सूर्य तिलक इसलिए भी महत्व रखता है क्योंकि श्री राम इश्वाकु वंश के थे, जिन्हें सूर्य का वंशज यानी सूर्यवंशी मान जाता है। 

पढ़ें  Surya Tilak Video: राम नवमी पर ठीक 12 बजे होगा कैसे होगा राम लला का सूर्य तिलक? देखें वीडियो में

क्या है सूर्य तिलक या सूर्य अभिषेक?
सूर्य अभिषेक या सूर्य तिलक से सामान्य तौर से अर्थ स्पष्ट होता है कि सूर्य की किरणों से तिलक लगाना। सूर्य अभिषेक वास्तव में मेकेनिज्म और ऑप्टिक यानी प्रकाशिकी का कॉम्बिनेश है जिसमें जहां भगवान के प्रति श्रद्धा और आस्था के प्रतीक के रूप में सूर्य की किरणों को भगवान की प्रतिमा के माथे पर डाला जाता है। हालांकि इंजिनियरिंग का प्रयोग कर ऐसा करने की कोई जरूरी प्रथा नहीं है। भारतीय उपमहाद्वीप के प्राचीन मंदिरों के लिए यह हमेशा से आवश्यक रही है।

अयोध्या राम मंदिर में ठीक 12 बजे सूर्य भिषेक
आज यानी 17 अप्रैल को राम नवमी  दोपहर ठीक 12 बजे करीब 3 मिनट तक सूर्य की किरणें राम मंदिर के गर्भगृह में विराजमान रामलला के माथे को रोशन करती रहीं। सूर्य तिलक करीब तीन मिनट तक रहा। राम जन्मभूमि तीरथ क्षेत्र ट्रस्ट, इस कार्यक्रम की सफलता के लिए अपना पूरा सहयोग दे रहा।

'सूर्य तिलक उपकरण' का मॉडल तैयार
राम नवमी पर आज रामलला के सूर्य अभिषेक समारोह को लेकर आईआईटी रुड़की की ओर से पहले ही दो टेस्टिंग की जा चुकी थी। इसमें आईआईटी टीम ने हाईक्वालिटी वाले शीशे और लेंस वाले डिवाइस का प्रयोग किया गया है। यह एक विशिष्ट स्थान पर निश्चित समय अंतराल के दौरान राम लला के माथे पर सूर्य की किरणों को सटीक रूप से डालता है।

लेंस से सजा गियरबॉक्स का मैकेनिज्म
मंदिर में वैज्ञानिकों की टीम ने एक रिफ्लेक्टिव मिरर और लेंस से लैस गियरबॉक्स तैयार रखा था। इसे तीसरी मंजिल पर सूर्य की किरणों को एक खास समय पर मंदिर के गर्भगृह में स्थापित रामलला के माथे पर रिफ्लेक्ट करने में मदद करने के लिए रखा था। ऑप्टिकल पाथ, पाइपिंग और टिप-टिल्ट को लंबे समय तक चलने और कम रखरखाव के लिए स्प्रिंग्स के बिना डिजाइन किया गया था।  

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