
उत्तर प्रदेश के संभल जिले से इंसानियत को झकझोर देने वाले मामले में आखिरकार न्याय ने अपना रास्ता बना लिया है। एक ऐसी दरिंदगी, जिसने एक मासूम बच्ची की आंखों के सामने उसकी मां की जिंदगी छीन ली थी, उस पर अदालत ने कड़ा फैसला सुनाया है। सात साल पुराने इस जघन्य अपराध में शामिल चारों दोषियों को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाते हुए समाज को सख्त संदेश दिया है कि ऐसे अपराधों के लिए कोई नरमी नहीं होगी।
यह दिल दहला देने वाला मामला संभल जिले के रजपुरा थाना क्षेत्र के एक गांव का है। वर्ष 2018 में 25 वर्षीय विवाहिता अपने दो बच्चों के साथ घर पर अकेली थी, जबकि उसका पति दिल्ली में मजदूरी करता था। 13 जुलाई की रात चार दरिंदे, महावीर, कुंवरपाल, जयवीर और एक नाबालिग, जबरन घर में घुस आए। आरोपियों ने महिला के साथ गैंगरेप किया, जबकि उसकी 7 साल की बेटी चीखती-चिल्लाती सब कुछ देखती रही।
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वारदात यहीं नहीं रुकी। दरिंदों ने महिला को मारने के बाद उसके शव को हवन कुंड में डालकर जला दिया। इस भयावह दृश्य को देखकर बच्ची बेहोश हो गई। होश आने पर उसने किसी तरह अपने ममेरे भाई को घटना की जानकारी दी, जिसके बाद पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया गया।
पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए शव का पोस्टमार्टम कराया और कपड़ों पर मिले सीमन के नमूनों की डीएनए जांच कराई। डीएनए रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों की पहचान हुई और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। पुलिस ने मजबूत साक्ष्य, गवाहों और तकनीकी सबूतों के साथ अदालत में चार्जशीट दाखिल की।
करीब सात साल तक चली लंबी सुनवाई के बाद विशेष न्यायाधीश पॉक्सो कोर्ट अवधेश कुमार ने चारों दोषियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही प्रत्येक दोषी पर कुल 1 लाख 12 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
अदालत ने आदेश दिया है कि जुर्माने की राशि में से 2 लाख रुपये पीड़ित परिवार को दिए जाएंगे। हालांकि परिजनों ने दोषियों के लिए फांसी की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने इसे अमानवीय और शर्मनाक अपराध मानते हुए उम्रकैद की सजा को उचित ठहराया। मामले में पीड़िता की बेटी और ममेरे भाई की गवाही बेहद अहम साबित हुई।
यह फैसला न केवल पीड़ित परिवार के लिए इंसाफ है, बल्कि समाज के लिए भी एक कड़ा संदेश है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध करने वालों को कानून कभी नहीं छोड़ेगा।
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