
संतकबीरनगर: ईमानदारी के साथ में मेहनत की जाए तो संसाधन कभी भी रोड़ा नहीं बनते। इस बात को एक बार फिर से धनघटा क्षेत्र के भंडा गांव निवासी एलआईसी एजेंट के बेटे-बेटी ने साबित करके दिखाया है। दोनों भाई-बहन का चयन उत्तर प्रदेश पुलिस में दारोगा के पद पर हुआ है। दारोगा बना भाई परिषदीय शिक्षक भी है।
दोनों भाई-बहन ने किया है बीएड
दोनों भाई-बहन के द्वारा बताया गया कि वह सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं और उनका ख्वाब अफसर बनने का है। उनके पिता रमेश चंद्र त्रिपाठी एलआईसी अभिकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। रमेशचंद्र के दो बेटे और एक बेटी है। रमेश मध्यमवर्गीय परिवार के चलते बेटे-बेटी को पढ़ने के लिए अच्छे शैक्षणिक संस्थानों में भी नहीं भेज पाए। उनका बड़ा बेटा रजत त्रिपाठी 26 वर्षीय और दूसरे नंबर पर बेटी कीर्ति त्रिपाठी 23 वर्षीय है। दोनों ने ही आर गौरव इंटर कॉलेज हैंसर बाजार से पढ़ाई की और इसके बाद रजत ने बीएससी, बीएड और बीटीसी किया। जबकि बेटी ने बीएससी बीएड किया हुआ है।
अभ्यास के दौरान साथ जाते थे पिताजी, थकान होने पर बढ़ाते थे हौसला
रजत का चयन 2020 में परिषदीय शिक्षक के पद पर हुआ था। मौजूदा समय में उनकी तैनाती सांथा क्षेत्र के धर्मसिंहवा स्थित कंपोजिट विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर है। रमेशचंद्र त्रिपाठी की बचपन से ही चाहत थी कि उनके बच्चे वर्दी पहने और पिता की इसी चाहत को पूरा करने के लिए दोनों बच्चों ने 2021 में यूपी पुलिस में दारोगा पद पर आवेदन किया था। दोनों ने साथ-साथ ही दारोगा बनने की तैयारी भी शुरू की थी। पिताजी खुद दोनों को अभ्यास करवाने के लिए ले जाते थे। बच्चों के साथ पिता भी दौड़ते थे और पगडंडी पर दौड़ने के दौरान थकान और धीमी गति होने पर वह उनका हौसला भी बढ़ाते थे। पिता और बच्चों की मेहनत रंग लाई और अब रजत और कीर्ति दारोगा बन गए हैं।
प्रशिक्षण को लेकर जारी है तैयारी
दारोगा बनने के बाद भाई बहन का कहना है कि उनकी सिविल परीक्षा की तैयारी अभी भी जारी रहेगी। कीर्ति बताती हैं कि उन्होंने कर्मचारी चयन आयोग की प्रारंभिक परीक्षा भी उत्तीर्ण की है। वह आगे पीसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण करने की चाहत रखती हैं। वहीं रजत अब प्रशिक्षण के लिए सीतापुर जाएंगे। जबकि कीर्ति का प्रशिक्षण मेरठ में होगा। यह प्रशिक्षण 13 मार्च से शुरू होगा।
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