
SDM Jyoti Maurya case update: उत्तर प्रदेश के चर्चित SDM ज्योति मौर्य और उनके पति आलोक मौर्य का मामला एक बार फिर से चर्चा में है। लंबे समय तक सोशल मीडिया और मीडिया रिपोर्ट्स की सुर्खियों में रहने वाले इस विवाद ने अब कानूनी मोड़ ले लिया है। अब आलोक मौर्य ने पत्नी ज्योति मौर्य से गुजारा भत्ता पाने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए PCS अधिकारी ज्योति मौर्य को नोटिस जारी किया है।
आलोक मौर्य ने प्रयागराज की फैमिली कोर्ट द्वारा 4 जनवरी 2025 को गुजारा भत्ते की याचिका खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती दी है। उन्होंने हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा कि वह केवल एक मामूली सरकारी कर्मचारी हैं और कई बीमारियों से ग्रस्त भी हैं, इसलिए वह गुजारा भत्ता पाने के हकदार हैं। वहीं उनकी पत्नी एक उच्च पदस्थ प्रशासनिक अधिकारी हैं, जिनकी आय और जीवनशैली उनसे कई गुना बेहतर है।
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सुनवाई के दौरान आलोक मौर्य के वकील ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता एक सफाई कर्मचारी हैं, जबकि उनकी पत्नी SDM हैं। उन्होंने बताया कि आलोक आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उनके पास पत्नी के बराबर जीवन जीने के साधन नहीं हैं। उन्होंने कहा कि परिवार न्यायालय का फैसला एकतरफा और नाइंसाफी भरा है, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
आलोक मौर्य की ओर से यह अपील 77 दिन की देरी से दाखिल की गई है। इस देरी के लिए कोर्ट में एक अलग प्रार्थना पत्र भी दाखिल किया गया है, जिसमें देरी को माफ करने की गुजारिश की गई है। कोर्ट ने इस पहलू पर भी संज्ञान लेते हुए SDM ज्योति मौर्य को नोटिस जारी किया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त 2025 को तय की गई है।
आलोक मौर्य की नियुक्ति 2009 में पंचायती राज विभाग में एक सफाई कर्मचारी के रूप में हुई थी। इसके एक साल बाद, यानी 2010 में, उनकी शादी ज्योति मौर्य से हुई। आलोक का दावा है कि उन्होंने अपनी पत्नी की पढ़ाई में आर्थिक और मानसिक दोनों तरह से सहयोग किया। लेकिन PCS अधिकारी बनने के बाद ज्योति का व्यवहार और सोच उनके प्रति बदल गई।
अब स्थिति ये है कि ज्योति मौर्य ने प्रयागराज की फैमिली कोर्ट में तलाक की याचिका दायर कर रखी है, जो फिलहाल पेंडिंग है। इसी दौरान आलोक मौर्य ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 24 के तहत गुजारा भत्ते की मांग की थी, जिसे फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
हाईकोर्ट की ओर से नोटिस जारी होने के बाद अब सबकी निगाहें 8 अगस्त की सुनवाई पर टिकी हैं। यह मामला न केवल एक दांपत्य विवाद है, बल्कि इसमें आर्थिक, सामाजिक और कानूनी पक्ष भी बारीकी से जुड़े हुए हैं। अगली सुनवाई में यह साफ हो सकेगा कि क्या आलोक मौर्य को वाकई गुजारा भत्ता मिलेगा या नहीं।
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