एक साड़ी पर खर्च कर दी जीवनभर की कमाई, जानिये अयोध्या राम मंदिर में कौन चढ़ा रहा सबसे महंगी साड़ी

एक भक्त ने अयोध्या राम मंदिर में स्पेशल साड़ी चढ़ाने के लिए अपने पूरे जीवन की कमाई खर्च कर दी है। रेशम की इस साड़ी में जय श्री राम नाम लिखा है। जिसे तैयार करने में भी रोज 10 घंटे का समय दिया है। आईये जानते हैं इस साड़ी की और खासीयत क्या है।

अयोध्या. आंध्रप्रदेश के एक व्यक्ति ने अयोध्या राम मंदिर में साड़ी चढ़ाने के लिए वह कर दिखाया, जो अच्छे अच्छे के बस की बात नहीं है। इस राम भक्त ने रेशम से खुद साड़ी तैयार की है। इस पूरी साड़ी में जय श्री राम नाम लिखा है और ये 196 फुट की साड़ी है। जो सामान्य साड़ियों से करीब 11 गुना लंबी है। ये साड़ी वे खुद अयोध्या पहुंचकर मंदिर समिति के सुपूर्द करेंगे।

धर्मावरम आंध्रप्रदेश ने तैयार की साड़ी

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196 फुट लंबी साड़ी आंध्र प्रदेश के धर्मावरम के निवासी बुनकर जुजारू नागराजू ने तैयार की है। उन्होंने इस साड़ी को बनाने की शुरुआत 2022 में थी। जिसके बाद वे रोज 10 घंटे लगाकर इस साड़ी को तैयार करते थे। अब ये साड़ी पूरी तरह से तैयार हो चुकी है। जिसे वे अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले पहुंचकर गिफ्ट करना चाहते हैं। उन्होंने ये साड़ी माता सीता के लिए तैयार की है। ये पूरी साड़ी रेशम से तैयार की गई है।

13 भाषाओं में लिखा जय श्री राम

बुनकर ने इस साड़ी में करीब 13 भाषाओं में जय श्री राम लिखा है। मराठी, तमिल, तेलुगु, उर्दू सहित अन्य भाषाओं में करीब 32 हजार से अधिक बार जय श्री राम लिखा गया है। इस साड़ी को तैयार करने में करीब 1.5 लाख रुपए का खर्च आया है। जबकि इसकी बाजार कीमत देखें तो 3.5 लाख रुपए के करीब होती है।

पूरे जीवन की बचत साड़ी में लगाई

बुनकर जुजारू नागराजू ने बताया कि उसने अपने पूरे जीवन की बचत को इस साड़ी में लगा दिया है। ये साड़ी उन्होंने दिन रात एक करके बनाई है। ये साड़ी उन्होंने विशेष प्रकार के कपड़े से तैयार की है।

16 किलो की साड़ी

बुनकर द्वारा इस साड़ी को करीब 6 माह से अधिक समय में तैयार किया है। ये साड़ी अपने आप में विशेष है। जो अन्य साड़ियों के मुकाबले वजन में भी काफी अधिक है। इस साड़ी का वजन करीब 16 किलो है। जिसे एक व्यक्ति द्वारा घड़ी करना भी मुश्किल है। बुनकर ने इस साड़ी को श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपने के लिए चर्चा कर ली है। जब वहां से उन्हें साड़ी सौंपने के लिए बुलाया जाएगा। वे खुद जाकर ये साड़ी ट्रस्ट को सौंपकर आएंगे।

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