
कानपुर की राजनीति और जनसेवा की दुनिया में शुक्रवार की देर शाम एक गहरा खालीपन छा गया। वर्षों से बीमार चल रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल का निधन हो गया। एक ऐसा नेता, जिसकी मौजूदगी ने कई बार कानपुर की राजनीति की दिशा बदली, आज वही शहर उनके जाने की खबर से शोक में डूबा है।कानपुर के तीन बार के सांसद रहे जायसवाल ने हृदय गति रुकने के कारण अंतिम सांस ली।
मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय कोयला मंत्री और उससे पहले गृह राज्य मंत्री रहे श्रीप्रकाश जायसवाल लंबे समय तक राष्ट्रीय राजनीति का अहम चेहरा रहे। उनकी राजनीतिक यात्रा बेहद मजबूत और संघर्षपूर्ण रही।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर पोस्ट करते हुए उनके निधन को अत्यंत दुखद बताया। उन्होंने लिखा कि प्रभु श्रीराम दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें और परिवार को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें। प्रदेश की राजनीति से दिल जुड़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह क्षति अत्यंत गहरी है।
कानपुर के मजबूत कांग्रेसी चेहरा रहे जायसवाल ने 1999 से 2014 तक लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीता।
उनकी जीतों ने कांग्रेस को लंबे समय तक कानपुर में मजबूती प्रदान की।
श्रीप्रकाश जायसवाल ने 1989 में कानपुर के महापौर के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने
लंबे समय तक जनसेवा में सक्रिय रहे जायसवाल अपनी सहजता, सादगी और जनता से जुड़ाव के लिए जाने जाते थे।
28 अप्रैल 1967 को उनका विवाह माया रानी जायसवाल से हुआ। उनके दो बेटे, एक बेटी और दो पोते हैं। कानपुर में उनका जीवन जनता से सीधी बातचीत, कार्यकर्ताओं से अपनापन और विकास कार्यों के प्रति समर्पण से भरा हुआ था।
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक बयान में उनके निधन को राजनीति की "अपूरणीय क्षति" बताया।कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने लिखा कि जायसवाल अपने क्षेत्र और देश दोनों के लिए अत्यंत समर्पित और ईमानदार नेता थे। उन्होंने UPA सरकार में अपने सहयोगी को याद करते हुए उन्हें सच्चा और निष्ठावान कांग्रेसी बताया।
श्रीप्रकाश जायसवाल के निधन के साथ एक ऐसा अध्याय समाप्त हो गया, जिसने कानपुर की राजनीति और कांग्रेस की पहचान को एक नई दिशा दी थी। उनकी ईमानदारी, सहज नेतृत्व और जनता से जुड़ाव को आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी।
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