UP : 296 KM सोलर एक्सप्रेसवे से 1 लाख घरों को मिलेगी बिजली

Published : Apr 26, 2025, 10:34 AM IST
solar expressway bundelkhand up solar power project

सार

Uttar Pradesh solar energy initiative: उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे जल्द ही देश का पहला सोलर एक्सप्रेसवे बनेगा। 296 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे पर सोलर पैनल लगाकर 550 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य है. 

Bundelkhand Expressway solar project: उत्तर प्रदेश सरकार ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर स्थापित करने जा रही है। राज्य के बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को देश के पहले सोलर एक्सप्रेसवे के रूप में विकसित किया जाएगा। यह परियोजना उत्तर प्रदेश को न केवल ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि लाखों लोगों को बिजली की सुविधा भी प्रदान करेगी।

देश में सबसे अधिक एक्सप्रेसवे वाले राज्य उत्तर प्रदेश में अब पहली बार किसी एक्सप्रेसवे पर सोलर पावर प्रोजेक्ट की शुरुआत की जा रही है। 296 किलोमीटर लंबा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे अब सोलर एनर्जी के माध्यम से ग्रीन एनर्जी का बड़ा स्रोत बनने जा रहा है।

किन जिलों से होकर गुजरेगा यह प्रोजेक्ट

यह एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश के सात जिलों से होकर गुजरता है—चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, औरैया और इटावा। इन्हीं जिलों के बेल्ट में बड़े स्तर पर सोलर पैनल स्थापित किए जाएंगे, जिससे 550 मेगावाट तक सोलर पावर जनरेट करने का लक्ष्य रखा गया है।

परियोजना पूरी होने के बाद लगभग एक लाख घरों को सीधी बिजली आपूर्ति की जा सकेगी। शुरुआती आंकलन के अनुसार, इस प्रोजेक्ट से करीब 450 मेगावाट बिजली का उत्पादन संभव है। साथ ही, ग्रीन एनर्जी उत्पादन से हर साल राज्य को लगभग 6 करोड़ रुपये की बचत होगी।

PPP मॉडल के तहत लगेगा सोलर प्लांट

यह परियोजना पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर आधारित होगी। एक्सप्रेसवे की मुख्य सड़क और सर्विस लेन के बीच 15 से 20 मीटर चौड़ी खाली पट्टी में सोलर पैनल लगाए जाएंगे। यह पूरा काम उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) के निर्देशन में किया जाएगा।

बुंदेलखंड क्षेत्र का मौसम अधिकतर शुष्क और साफ रहता है, जो सोलर पैनल के लिए आदर्श है। यहां प्रति वर्ष औसतन 800 से 900 मिमी वर्षा दर्ज की जाती है। साथ ही, भूमि की उपलब्धता भी इस प्रोजेक्ट के लिए उपयुक्त मानी गई है।

परियोजना की देखरेख करेगा ग्लोबल एनर्जी संगठन

इस परियोजना की निगरानी ग्लोबल एनर्जी अलायंस फॉर पीपल एंड प्लेनेट (GEAPP) करेगा। अगले 15 महीनों में इसे पूरी तरह से तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। भविष्य में इस एक्सप्रेसवे पर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन लगाना भी आसान होगा। सोलर पैनलों की स्थापना से एक्सप्रेसवे का सौंदर्यीकरण होगा और हजारों लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसके अलावा, एक्सप्रेसवे के दोनों ओर बसे गांवों को भी सोलर बिजली की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की विशेषताएं

  • कुल लंबाई: 296 किलोमीटर
  • निर्माण लागत: लगभग ₹14,850 करोड़
  • वर्तमान: 4 लेन, भविष्य में विस्तार की संभावना 6 लेन तक
  • कनेक्टिविटी: चित्रकूट के भरतकूप से इटावा के कुदरैल तक
  • सुरक्षा: 24 घंटे पुलिस पेट्रोलिंग और एंबुलेंस सुविधा

टोल टैक्स: ₹600 से ₹3900 तक निर्धारित

उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम न सिर्फ राज्य के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बनेगा। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का सोलर रूपांतरण ग्रीन एनर्जी, आर्थिक बचत, ग्रामीण विकास और रोजगार जैसे कई मोर्चों पर व्यापक प्रभाव डालेगा। यह परियोजना भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, और देश में सतत विकास की दिशा में एक अहम कदम साबित होगी।

यह भी पढ़ें: UPPCL की नई सुविधा,अब इस काम के लिए नहीं लगाने पड़ेंगे विभाग के चक्कर

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