
प्रयागराज। मौनी अमावस्या के शाही स्नान के दौरान मंगलवार-बुधवार की रात संगम नोज पर बड़ा हादसा हो गया। देर रात करीब 1:30 बजे अचानक भीड़ बेकाबू हो गई, जिससे भगदड़ मच गई। इस दौरान कई श्रद्धालु नीचे गिर गए, जिन्हें भीड़ कुचलते हुए आगे बढ़ गई। मौके पर मौजूद पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स ने तत्काल राहत कार्य शुरू किया, लेकिन तब तक 30 श्रद्धालुओं की जान जा चुकी थी और 36 से अधिक लोग घायल हो चुके थे।
प्रशासन ने घायलों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर 1920 जारी किया है, जिस पर मृतकों और घायलों की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। घटना की गंभीरता को देखते हुए संगम नोज क्षेत्र को पूरी तरह सील कर दिया गया।
महाकुंभ मेला प्रभारी विजय किरन आनंद और डीआईजी वैभव कृष्ण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि हादसा अखाड़ा मार्ग पर अधिक भीड़ के कारण हुआ। श्रद्धालु बैरिकेडिंग तोड़कर आगे बढ़ गए, जिससे वहां सो रहे कई श्रद्धालु कुचल गए। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस और 50 से अधिक एंबुलेंस को तुरंत सक्रिय किया गया और घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया।अब तक 30 मृतकों की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से 25 की पहचान हो गई है, जबकि 5 शवों की पहचान जारी है। मरने वालों में कर्नाटक, गुजरात और असम के श्रद्धालु भी शामिल हैं।
मरने वालों में प्रभावती राजभर (55) - मऊ, रोशनी पटेल (8) और उनकी मां रीना पटेल (36) - बलिया, मीरा सिंह (50) और रिंकी सिंह (38) - बलिया शामिल हैं। सभी घायलों का इलाज स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में जारी है, जहां कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है।
प्रशासन ने पहले से ही शाही स्नान के दौरान भीड़ नियंत्रण के लिए मंगलवार शाम से बैरिकेडिंग और दिशा-निर्देश जारी किए थे। लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या अत्यधिक होने के कारण संगम नोज क्षेत्र में अचानक भीड़ का दबाव बढ़ गया, जिससे यह हादसा हुआ।
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इस दुखद घटना को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि क्या प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे या फिर पुलिस की ओर से चूक हुई? डीआईजी वैभव कृष्ण से जब पुलिस की असफलता पर सवाल किया गया, तो वे बिना जवाब दिए प्रेस कॉन्फ्रेंस से चले गए।
मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं से धैर्य और संयम बरतने की अपील की है। आगे के स्नानों के दौरान सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी की जाएगी ताकि ऐसा हादसा दोबारा न हो। प्रशासन ने यह भी कहा कि भीड़ नियंत्रण को लेकर नए नियमों पर विचार किया जा रहा है।
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