
Sultanpur News : गांव चाहे कितना भी छोटा क्यों न हो, हर किसी की पहचान उसके नाम से जुड़ी होती है। लेकिन सोचिए, क्या होगा जब गांव का नाम ही लोगों के बीच हंसी का कारण बन जाए? कुछ लोग उस नाम को बदलने की कोशिश करते हैं तो कुछ इसे अपनी विरासत मानकर सिर ऊंचा रखते हैं। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में एक ऐसा ही गांव है जो अपने नाम को लेकर काफी चर्चा में है।
सुल्तानपुर मुख्यालय से करीब 17 किलोमीटर दूर भदैयां ब्लॉक में स्थित यह गांव है। यहां के लोगों की मेहनत, गांव की तरक्की और संस्कृति पर हर किसी को गर्व है, लेकिन जब गांव के नाम की बात आती है तो महिलाएं और लड़कियां अक्सर झिझकती हैं। कई बार वे ससुराल या शहर में पास के प्रतापगंज बाजार का नाम लेती हैं, ताकि लोग हंसी का पात्र न बन सकें।
दरअसल, इस नाम के पीछे एक दिलचस्प कहानी बताई गई है। गांव के बुजुर्गों के अनुसार, पहले तीन भाई - पूरन, बालम और महेश - इस इलाके में अलग-अलग जगहों पर बसे। पूरन जिस जगह बसे, उसका नाम पूरनपुर पड़ा; महेश के नाम पर महेशुआ बसा और बालम ने जहां डेरा डाला, वह गांव बालमपुर हो गया।
बालमपुर सिर्फ अपने नाम के लिए ही चर्चा में नहीं है, बल्कि यहां के लोगों के विकास कार्यों, शिक्षा और सामाजिक समरसता के लिए भी जाना जाता है। गांव के कुछ युवाओं ने खेती के नए-नए तरीके अपनाकर मिसाल कायम की है। यहां की पंचायत भी सक्रिय भूमिका निभा रही है।
भले ही कुछ लोग नाम का मज़ाक उड़ाएँ, लेकिन बालमपुर की गिनती उन गांवों में होती है जहां स्वाभिमान और परंपरा को महत्व दिया जाता है। यह गांव सिर्फ एक नाम नहीं है, बल्कि एक सोच है - कैसे अपनी पहचान को आत्मविश्वास के साथ जिया जाए।
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