उमेश पाल हत्याकांड: चांद बाबा से लेकर विधायक राजू पाल की हत्या तक ऐसे बढ़ता चला गया अतीक अहमद का खौफ

Published : Feb 28, 2023, 03:39 PM ISTUpdated : Mar 09, 2023, 08:23 PM IST
ATIQ AHMAD

सार

बाहुबली अतीक अहमद का नाम उमेश पाल हत्याकांड में सामने आने के बाद मुश्किलें बढ़ना तय है। हालांकि चांद बाबा से लेकर राजू पाल और उमेश पाल तक अतीक के ज्यादातर दुश्मनों की मौत बीच सड़क पर ही हुई है।

लखनऊ: बाहुबली अतीक अहमद की पत्नी ने सीएम योगी को पत्र लिखकर पति की जान के लिए मदद की गुहार लगाई है। हालांकि एक वक्त ऐसा भी था जब पूर्वांचल में खौफ के दूसरे नाम के तौर पर अतीक अहमद की पहचान होती थी। भले ही आज अतीक अहमद गुजरात की साबरमती जेल में बंद हैं लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब 10 जजों ने उनके केस की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। फिलहाल इन दिनों अतीक अहमद प्रयागराज में हुए उमेश पाल के मर्डर के चलते चर्चाओं में हैं।

कुछ ही सालों में चांद बाबा से ज्यादा खतरनाक हो गया अतीक

अतीक अहमद का माफिया बनने का सफर इतना आसान भी नहीं रहा है। इलाहाबाद (मौजूदा प्रयागराज जनपद) के चकिया का निवासी एक 10वीं क्लास का बच्चा सन 1979 में पेल हो गया और यहीं से वह बदमाशों की संगत में पड़ गया। अतीक अहमद पर जल्द ही अमीर बनने की सनक सवार थी। इसी के चलते उसने लूट, अपहरण और रंगदारी वसूलने जैसे घटनाओं को अंजाम देना शुरू कर दिया। उस समय इलाहाबाद के पुराने शहर में चांद बाबा का खौफ होता था। पुलिस और राजनेता दोनों के उससे परेशान थे। हालांकि महज 7 सालों में ही अतीक चांद बाबा से भी ज्यादा खतरनाक बन गया। 1986 में जब अतीक की गिरफ्तारी हुई तो उसने अपने इन चंद सालों में बनाए रसूख का इस्तेमाल किया और वह जेल से बाहर आ गया। इसके बाद 1989 में उसने राजनीति की दुनिया में उतरने का मन बना लिया।

निर्दलीय और अपना दल के टिकट पर भी आजमाई किस्मत

1989 में शहर की पश्चिमी सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान अतीक के द्वारा किया गया और यहां उसका सीधा मुकाबला चांद बाबा से था। अतीक ने जीत दर्ज की और कुछ ही माह के बाद बीच चौराहे पर दिनदहाड़े चांद बाबा की हत्या कर दी गई। इसके बाद अतीक ने 1991 और 1993 का चुनाव निर्दलीय लड़ा। इसके बाद 1995 में जब गेस्ट हाउस कांड हुआ उस समय भी अतीक का नाम सामने आय़ा। साल 1996 में उसने सपा के टिकट पर लड़ा। इसके बाद 1999 में अपना दल के टिकट पर उसने प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ा और उसे करारी हार मिली। इसके बाद 2002 में वह पांचवी बार अपनी पुरानी इलाहाबाद पश्चिमी सीट से विधायक बना।

विधायक राजू पाल की हत्या में आया अतीक का नाम

अतीक के खौफ का अंदाजा इसी बीत से लगाया जा सकता है कि उसके खिलाफ पश्चिमी सीट से चुनाव लड़ने के लिए भी ज्यादातर नेता तैयार नहीं होते थे। पार्टियां टिकट दें तो भी नेता उसे वापस कर देते। इसके बाद 2004 में अतीक ने फूलपुर सीट पर सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी जीता। अतीक के ही इलाहाबाद पश्चिमी सीट से विधायक होने के चलते वहां उपचुनाव हुआ और उसमें अतीक ने छोटे भाई अशरफ को चुनावी मैदान में उतारा। इसी बीच अतीक का दायां हाथ कहे जाने वाले राजू पाल को बसपा से टिकट मिला और उसने भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। राजू पाल को यहां जीत मिली और यह अतीक को उसके ही इलाके में टक्कर देने वाली बात थी। विधायक बनने के 3 माह बाद ही राजू पाल ने 15 जनवरी 2005 में शादी की और उसके ठीक 10 दिन बाद 25 जनवरी 2005 को उसकी हत्या कर दी गई। इस हत्या के पीछे अतीक और अशरफ का नाम सामने आया।

मायावती ने सीएम बनने के बाद अतीक के खिलाफ शुरू किया अभियान

2005 में विधायक राजू पाल की हत्या के बाद अतीक के लिए बुरा वक्त शुरू हुआ। 2007 में सत्ता बदली तो मायावती सूबे की मुखिया बनी और सपा ने अतीक को पार्टी से बाहर कर दिया। सीएम बनने के साथ ही मायावती ने अतीक के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया। उस दौरान अतीक पर 20 हजार का इनाम रखकर उसे मोस्ट वांटेड घोषित कर दिया गया। इसके बाद अतीक पर कई मुकदमे दर्ज हुए। अतीक पर 100 से अधिक केस दर्ज हैं जिसमें 1989 में चांद बाबा की हत्या, 2002 में नस्सन की हत्या, 2004 में मुरली मनोहर जोशी के करीबी बीजेपी नेता अशरफ की हत्या और 2005 में विधायक राजू पाल की हत्या का केस शामिल है।

अतीक की जमानत की सुनवाई से जजों ने खुद को किया अलग

2012 में चुनाव के दौरान अतीक जेल में था। इसी बीच उसने चुनाव लड़ने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दी। हालांकि हाईकोर्ट के 10 जजों ने केस की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। 11वें जज ने सुनवाई की और अतीक को जमानत मिल गई। हालांकि इस चुनाव में अतीक को राजू पाल की पत्नी पूजा पाल से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2014 में सपा ने उसे श्रावस्ती से टिकट दिया लेकिन वहां भी अतीक को हार का सामना करना पड़ा। 2019 में अतीक ने पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ा और यहां भी उसे हार का सामना करना पड़ा।

उमेश पाल हत्याकांड: पीडीए जुटा रहा आरोपियों की संपत्तियों की जानकारी, बुलडोजर चलाने की तैयारी

PREV

उत्तर प्रदेश में हो रही राजनीतिक हलचल, प्रशासनिक फैसले, धार्मिक स्थल अपडेट्स, अपराध और रोजगार समाचार सबसे पहले पाएं। वाराणसी, लखनऊ, नोएडा से लेकर गांव-कस्बों की हर रिपोर्ट के लिए UP News in Hindi सेक्शन देखें — भरोसेमंद और तेज़ अपडेट्स सिर्फ Asianet News Hindi पर।

Recommended Stories

यूपी बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष कौन? खरमास से पहले 14 दिसंबर को होगा ऐलान
योगी सरकार की अभ्युदय कोचिंग: 23 हजार से ज्यादा युवाओं को मुफ्त तैयारी का बड़ा अवसर