वायुसेना दिवस पर ‘परशुराम’ ने प्रयागराज में उड़ान भरी। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इस ऐतिहासिक विमान का संरक्षण कराया था और वायुसेना को समर्पित किया था।
प्रयागराज। भारतीय वायु सेना के 91वें स्थापना दिवस पर ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगरी प्रयागराज में आयोजित किया गया। इस दौरान विमान परेड में शामिल परशुराम यानी डकोटा डीसी-3 वीपी 905 विमान ने आकाश की ऊंचाइयों को नापा।
भारत और पाकिस्तान के बीच पहली बार हुई भिड़ंत में 1947-48 के दौरान भारतीय वायुसेना के बेड़े में डकोटा विमान भी शामिल था। इस ऐतिहासिक विमान का संरक्षण कर वायुसेना को समर्पित करने वाले केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने ट्वीट करके रविवार को विमान परेड के इस पल को देखने की अपील की।
केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने कहा, "डकोटा विमान भारत के इतिहास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के कारण अहम दर्जा रखता है, विशेष रूप से 1947-48 की घटनाओं के दौरान जिसमें जम्मू और कश्मीर पर नियंत्रण पाने के लिए पाकिस्तान के प्रयास शामिल थे। आज, विंग कमांडर डी धनखड़ की कमान में डकोटा और उसके चालक दल ऐतिहासिक नगरी प्रयागराज के आसमान में उड़ान भरेंगे।"
राजीव चन्द्रशेखर के पिता एम के चन्द्रशेखर थे डकोटा के पायलट
राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर के पिता एयर कमोडोर (सेवानिवृत्त) एम के चन्द्रशेखर भारतीय वायुसेना में डकोटा पायलट थे। डकोटा के आखिरी विमान को 2010 में रद्दी माल में बेच दिया गया था। लेकिन केंद्रीय मंत्री ने भारतीय वायुसेना की इस विरासत को खरीदकर यूके में उसकी मरम्मत करवाकर उसका संरक्षण किया।
उन्होंने इसे 2018 में वायुसेना को समर्पित किया। इसे अब ‘परशुराम’ का नाम दिया गया है, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार थे। बताते चलें कि रक्षा मंत्रालय की विशेष अनुमति पर सेवानिवृत्त एयर कमोडोर एम के चंद्रशेखर विमान को उड़ाकर जामनगर से हिंडन एयरफोर्स लाए थे। इसे भारतीय वायुसेना के विंटेज स्क्वाड्रन में आधिकारिक तौर पर स्वागत किया गया और इसे विशिष्ट टेल नंबर वीपी 905 से चिह्नित किया गया।
मालूम हो कि राजीव चंद्रशेखर द्वारा अपने स्वयं के खर्च पर भारतीय वायुसेना को डकोटा विमान उपहार में देने के उनके प्रस्ताव को तत्कालीन रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि पूर्व में ऐसा कोई दृष्टांत नहीं रहा है। हालांकि, बाद में भाजपा सरकार में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने विमान को पूरी तरह से बहाल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। डकोटा डीसी-3, जिसे ‘गोनी पक्षी’ के नाम से जाना जाता है, जो भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया पहला प्रमुख परिवहन विमान था।