UP Board की फीस में 200% तक इजाफा! कबसे लागू होंगे नए नियम?

Published : May 10, 2025, 10:09 PM IST
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सार

UP Board Fees Hike: यूपी सरकार ने कक्षा 9 से 12 तक की स्कूल फीस में 180-200% तक की बढ़ोतरी की है। यह फैसला 2025-26 सत्र से लागू होगा, जिससे लाखों अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

UP Board Fees Hike: उत्तर प्रदेश में माध्यमिक शिक्षा को लेकर एक बड़ा फैसला सामने आया है, जो लाखों अभिभावकों और छात्रों को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा। यूपी सरकार ने कक्षा 9 से 12 तक पढ़ने वाले छात्रों की स्कूल फीस में भारी इजाफा किया है। हैरान करने वाली बात यह है कि फीस में 180 से 200 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है। यानी अब सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ाई पहले से कहीं ज़्यादा महंगी हो गई है।

राज्यपाल की मंजूरी के बाद इस निर्णय को 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से लागू कर दिया गया है। शासन की ओर से इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया गया है।

सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होगी उत्तर पुस्तिकाओं की स्क्रूटनी

यूपी बोर्ड ने इस साल स्क्रूटनी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में अहम कदम उठाया है। अब हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में की जाएगी, जिससे कॉपी जांच प्रक्रिया में गड़बड़ी की संभावना को कम किया जा सके।

यूपी बोर्ड ने 25 अप्रैल को कक्षा 10वीं और 12वीं के परीक्षा परिणाम घोषित किए थे। जिन छात्रों को अपने अंकों को लेकर आपत्ति है, वे 19 मई 2025 तक स्क्रूटनी के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

अब पांच प्रमुख शहरों में होगी स्क्रूटनी प्रक्रिया

पहले स्क्रूटनी की प्रक्रिया कुछ सीमित संसाधनों के साथ क्षेत्रीय कार्यालयों में होती थी, जिससे पारदर्शिता पर सवाल उठते थे। लेकिन अब प्रयागराज, मेरठ, वाराणसी, गोरखपुर और बरेली के क्षेत्रीय कार्यालयों में विषय विशेषज्ञों के पैनल द्वारा कॉपियों की जांच की जाएगी।

यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने बताया कि स्क्रूटनी का संशोधित परिणाम 10 जून तक घोषित कर दिया जाएगा। यदि किसी छात्र की कॉपी में गलती पाई जाती है, तो उसका संशोधित रिजल्ट जारी किया जाएगा।

क्या बदल जाएगी यूपी की सरकारी शिक्षा व्यवस्था?

इस फीस वृद्धि से एक तरफ सरकार शिक्षा व्यवस्था को आत्मनिर्भर और संसाधन-सक्षम बनाने की बात कर रही है, तो दूसरी ओर लाखों अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ने की भी संभावना है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस फैसले के दूरगामी प्रभाव क्या होते हैं।

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