
UP electricity tariff hike: उत्तर प्रदेश में आम जनता के लिए एक और झटका तैयार है। पावर कॉर्पोरेशन ने नियामक आयोग के समक्ष एक संशोधित प्रस्ताव दाखिल किया है, जिसमें बिजली दरों में भारी वृद्धि की बात कही गई है। ग्रामीण उपभोक्ताओं की दरों में 45% और शहरी उपभोक्ताओं की दरों में 40% तक की वृद्धि प्रस्तावित की गई है। इस प्रस्ताव से प्रदेश भर में हड़कंप मच गया है और विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए खारिज करने की मांग की है।
मई महीने में पावर कॉर्पोरेशन ने बिजली कंपनियों का सालाना घाटा 9200 करोड़ से बढ़ाकर 19600 करोड़ रुपये दिखाते हुए दरों में 30% वृद्धि का प्रस्ताव दिया था। अब 14 जून को अचानक एक संशोधित प्रस्ताव दाखिल कर दिया गया, जिसमें अलग-अलग श्रेणियों के लिए दरें और ज्यादा बढ़ाने की मांग की गई है।
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यदि यह प्रस्ताव स्वीकार हो गया, तो हर उपभोक्ता की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।
पावर कॉर्पोरेशन ने कॉस्ट डाटा बुक के जरिए नए कनेक्शन की दरों में भी 25 से 30% की बढ़ोतरी प्रस्तावित की है। साथ ही सामग्री पर अतिरिक्त चार्ज भी लगाए जाएंगे। इससे एक साधारण नया कनेक्शन, जो पहले 10,000 रुपये में मिल जाता था, अब और महंगा हो जाएगा।
सिर्फ दरों में बढ़ोतरी ही नहीं, बल्कि पावर कॉर्पोरेशन ने निजीकरण के मसौदे पर भी पांच कॉपी में प्रस्ताव दाखिल किया है। इसके तहत यह स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि सरकार और कंपनियां बिजली वितरण को धीरे-धीरे निजी हाथों में सौंपना चाहती हैं।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह असंवैधानिक बताया। उनका कहना है कि जब दर निर्धारण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, तब नया संशोधित प्रस्ताव स्वीकार करना नियमों का उल्लंघन है। परिषद ने इसे खारिज करने और कानूनी लड़ाई लड़ने की घोषणा की है।
परिषद ने यह भी आरोप लगाया कि उपभोक्ताओं का 33122 करोड़ रुपये बिजली कंपनियों पर बकाया (सरप्लस) है, जिसे दर कम करके वापस किया जा सकता है। लेकिन सरकार दरें बढ़ाकर निजीकरण की राह आसान करना चाहती है। राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने बयान दिया कि प्रस्ताव वेबसाइट पर सार्वजनिक किया जाएगा और नियमों का उल्लंघन नहीं हुआ है। लेकिन विपक्षी संगठनों और उपभोक्ताओं में इस जवाब से असंतोष है।
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