
Lucknow News : उत्तर प्रदेश को उद्योग प्रदेश और 2030 तक वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार तेज़ी से काम कर रही है। प्रदेश में अब तक 15 लाख करोड़ से अधिक का निवेश धरातल पर उतारा जा चुका है, और अब सरकार बड़े पैमाने पर विदेशी निवेशकों को भी प्रदेश में उद्योग स्थापित करने के लिए आकर्षित कर रही है।
इन्वेस्ट यूपी की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दी गई रिपोर्ट के अनुसार, जापान, सिंगापुर, कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, रूस, ताइवान और खाड़ी देशों की करीब 150 से अधिक कंपनियों ने उत्तर प्रदेश में बड़े निवेश की इच्छा जताई है। सरकार की पहल पर उद्यमियों के साथ ‘वन-टू-वन’ बैठकें जारी हैं और कई MoU (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर की तैयारी चल रही है।
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2. दक्षिण कोरिया : यहां इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स को साझेदार के रूप में जोड़ा गया है और जल्द ही MoU पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। कोरिया में स्थापित शीर्ष 25 कंपनियों के साथ संपर्क स्थापित किया गया है, जबकि भारतीय मिशनों और दूतावासों के साथ नीतिगत संवाद और प्रचार सामग्री का आदान-प्रदान जारी है।
3. जर्मनी, फ्रांस और रूस : इंडो-जर्मन चैंबर ऑफ कॉमर्स से संपर्क स्थापित किया गया है। भारत और रूस में बीटूजी (बिजनेस टू गवर्नमेंट) बैठकों और गोलमेज वार्ताओं के माध्यम से निवेश पर चर्चा हुई है। साथ ही, जर्मनी और फ्रांस में भारतीय मिशनों के साथ वर्चुअल मीटिंग्स भी आयोजित की गई हैं। 13 से अधिक यूरोपीय कंपनियों ने यूपी में निवेश में रुचि दिखाई है।
4. ताइवान : ताइवान की कई प्रमुख कंपनियों के साथ इन्वेस्ट यूपी ने बैठकें की हैं। सितंबर 2025 में बैंगलुरु में आयोजित इलेक्ट्रोनिका इंडिया एक्सपो के दौरान 40 से अधिक ताइवानी कंपनियों के साथ समर्पित बैठकें हुईं। इससे इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में निवेश की दिशा में बड़ी संभावनाएं खुली हैं।
5. सिंगापुर और गल्फ देश : सिंगापुर और खाड़ी देशों (UAE, सऊदी अरब, क़तर, कुवैत, ओमान, बहरीन) में भारतीय राजनयिक मिशनों के साथ वर्चुअल सम्मेलन आयोजित किए गए। गल्फ की 20 से अधिक और सिंगापुर की 25 से अधिक कंपनियों के साथ संपर्क स्थापित किया गया है। कई कंपनियां आईटी, इंफ्रास्ट्रक्चर और रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश की इच्छा जता चुकी हैं।
योगी सरकार की यह पहल न केवल प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़ाएगी, बल्कि यूपी को राष्ट्रीय औद्योगिक हब बनाने की दिशा में भी निर्णायक साबित होगी। विदेशी निवेश से तकनीकी सहयोग और उत्पादन क्षमता में भी इजाफा होगा।
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