
सारनाथ। उत्तर प्रदेश के श्रम एवं रोजगार मंत्री अनिल राजभर (Anil Rajbhar) सोमवार को आषाढ़ पूर्णिमा या धम्म चक्क पवनाटन दिवस के अवसर पर केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान सारनाथ में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने बुद्ध की शिक्षाओं को “भारतीय संस्कृति, प्राचीन विचार और ज्ञान बताया। मंत्री ने इसे मानव जाति की भलाई के लिए फैलाने की अपील की।
अनिल राजभर ने कहा कि भगवान बुद्ध के पास किसी चीज की कमी नहीं थी फिर भी उन्होंने सभी सुखों को त्याग दिया। उन्होंने परम सत्य की खोज के लिए बलिदान दिया, जिससे समाज को लाभ हो और दुखों का अंत हो। बुद्ध का ज्ञान भारत की विरासत है। गुरु पूर्णिमा के इस पावन दिन बुद्ध को हमारी सबसे बड़ी भेंट होगी कि हम उनकी शिक्षाओं को आत्मसात करें। इसे व्यापक रूप से शेयर करें।
कार्यक्रम के दौरान CIHTS सारनाथ के कुलपति प्रोफेसर वांगचुक दोरजी नेगी ने धर्म शब्द का अर्थ समझाया। उन्होंने कहा कि यह 'अवशोषित' या 'धारण' करने का प्रतीक हो सकता है। दोरजी नेगी ने कहा "सभी घटनाएं अपनी अलग-अलग विशेषताएं रखती हैं। हम इन्हें पानी, हवा, आग, पेड़, पौधों के रूप में पहचान सकते हैं। ये अपनी खुद की असामान्य विशेषताएं बन जाती हैं।"
कार्यक्रम के दौरान आईबीसी के महासचिव शार्त्से खेंसुर रिनपोछे जंगचुप चेओडेन ने बुद्ध की 2500 साल पुरानी शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। ये शिक्षाएं युद्ध, दुश्मनी और दुख की इस दुनिया में अभी भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने अपने स्वागत भाषण में कहा कि मानवता बुद्ध की मूल्यवान शिक्षाओं से लाभान्वित होगी।
IBC ने लॉन्च किया NORBU, AI की मदद से देता है जवाब
कार्यक्रम के दौरान IBC द्वारा NORBU की शुरुआत की गई। यह AI समर्थित “जिम्मेदार बौद्ध समझ के लिए न्यूरल ऑपरेटर” है। NORBU की मदद से पाठक अपने सावालों के जवाब पा सकते हैं। यह AI की मदद से व्यावहारिक शिक्षाएं देने के साथ ही बौद्ध धर्म के बारे में सार्थक चर्चाओं को बढ़ावा देता है। IBC ने NORBU को "कल्याण मित्र" नाम दिया है।
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कार्यक्रम के दौरान रूसी भिक्षु और टेक्निकल ट्रेनर वेन खेमाानंदो ने इस बौद्ध एआई बॉट को बनाने में आने वाली चुनौतियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसे धम्म समाधान प्रदान करने और बौद्ध दर्शन पर बहस में शामिल होने के लिए डिजाइन किया गया है। यह रियल टाइम में बातचीत करता है। शिक्षा देता है और सार्थक चर्चाओं को सुविधाजनक बनाता है।
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कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली स्थित अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (IBC) द्वारा संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार, पर्यटन मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्रीय उच्च तिब्बती अध्ययन संस्थान, सारनाथ के सहयोग से किया गया था।
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