
UP Police Officer Mamta Singh Suspended: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में पुलिस विभाग से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आया है। मुरसान थाना प्रभारी SO ममता सिंह पर फर्जी एनकाउंटर (Fake Encounter) का आरोप लगा है। जांच में मामला संदिग्ध पाए जाने के बाद हाथरस SP ने ममता सिंह और एंटी थेफ्ट टीम प्रभारी मुकेश कुमार को तत्काल निलंबित (Suspended) कर दिया है। इस कार्रवाई के बाद से जिले में हलचल मच गई है और लोग जानना चाहते हैं — आखिर कौन हैं ममता सिंह और क्या है पूरा मुठभेड़ कांड?
मुरसान थाना प्रभारी ममता सिंह मूल रूप से मेरठ जिले की रहने वाली हैं। उनके पति एक शुगर मिल में इंजीनियर हैं और उनके दो बच्चे हैं। ममता सिंह इससे पहले हाथरस जिले के चंदपा थाने, महिला थाना और सदर कोतवाली में एसएसआई के रूप में सेवाएं दे चुकी हैं। अपने सख्त रवैये और कार्यशैली के लिए जानी जाने वाली ममता सिंह को हाल ही में मुरसान थाने में पोस्टिंग दी गई थी। लेकिन अब उनके नाम पर फर्जी मुठभेड़ (Fake Encounter Case) का गंभीर आरोप लग चुका है, जिससे उनका करियर सवालों के घेरे में है।
हाथरस के मुरसान थाना क्षेत्र के बनखंडी महादेव कॉलोनी में पुलिस ने लूट के प्रयास में दो युवकों को गिरफ्तार करने का दावा किया। पुलिस के अनुसार, दोनों युवक खाद-बीज व्यापारी अमित अग्रवाल के घर में घुसकर लूट की कोशिश कर रहे थे। मुठभेड़ के दौरान ओमवीर नाम के युवक के पैर में गोली लगने की बात कही गई। लेकिन कहानी में मोड़ तब आया जब ओमवीर के भाई अजय ने सामने आकर पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगा दिया। अजय का कहना है कि उसका भाई खेती करता है और व्यापारी अमित अग्रवाल को खाद के लिए एडवांस पैसे दे चुका था। वह केवल खाद लेने उनके घर गया था, लेकिन पुलिस ने उसे झूठे केस में फंसा दिया।
मामले की जांच के बाद एसपी को कई संदिग्ध तथ्य मिले। शुरुआती रिपोर्ट में मुठभेड़ को "फर्जी" पाया गया। इसके बाद एसपी ने तत्काल थानाध्यक्ष ममता सिंह और एंटी थेफ्ट टीम प्रभारी मुकेश कुमार को निलंबित कर दिया। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस विभाग अब इस मामले की गहराई से जांच कर रहा है कि क्या यह एनकाउंटर पहले से प्लान किया गया था, या किसी दबाव में कार्रवाई की गई थी।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है-क्या ममता सिंह को किसी राजनीतिक या विभागीय साजिश के तहत फंसाया गया है या उन्होंने वाकई एक निर्दोष को फर्जी मुठभेड़ में गोली मारी? जवाब फिलहाल जांच के बाद ही साफ होगा, लेकिन इस घटना ने UP Police की छवि पर फिर एक बार सवाल खड़ा कर दिया है।
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