
लखनऊ। देश की आंतरिक सुरक्षा, सामाजिक सामंजस्य और संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए केंद्र और राज्य सरकारें अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान अभियान को तेज़ी से आगे बढ़ा रही हैं। उत्तर प्रदेश, जो देश का सबसे बड़ा और रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण राज्य है, इस दिशा में खास सतर्कता बरत रहा है। सरकार ने सभी डीएम और पुलिस अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि वे विदेशी नागरिकों के दस्तावेज़ों की पूरी जांच कर अवैध रूप से रह रहे लोगों की पहचान को प्राथमिकता दें।
उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति इस अभियान को और महत्वपूर्ण बनाती है। यह राज्य आठ राज्यों, एक केंद्र शासित प्रदेश और नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़ा है। हाल के वर्षों में सीमाई जिलों में फर्जी पहचान, घुसपैठ और अस्थिरता के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। फर्जी पहचान के सहारे शहरों में बसने वाले अवैध घुसपैठिए कानून-व्यवस्था, सामाजिक संतुलन और संसाधनों पर बड़ा दबाव बनाते हैं।
इन चुनौतियों को देखते हुए प्रदेश में पुलिस और जिला प्रशासन मिलकर सत्यापन और पहचान की प्रक्रिया को तेज़ कर रहे हैं। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि निर्दोष लोगों को किसी भी तरह की परेशानी नहीं होगी। वहीं संदिग्ध गतिविधियों में शामिल या फर्जी दस्तावेज़ों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
राज्य के सभी जिलों में अस्थायी डिटेंशन सेंटर स्थापित किए जाएंगे। यहां ऐसे व्यक्तियों को रखा जाएगा जिनके दस्तावेज़ों की जांच प्रक्रियाधीन है। यह व्यवस्था प्रशासन को जांच में मदद करेगी और स्थानीय सुविधाओं पर अनावश्यक दबाव नहीं पड़ेगा।
2016 में तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में बताया था कि देश में लगभग 2 करोड़ अवैध बांग्लादेशी नागरिक रह रहे हो सकते हैं। अगस्त 2017 में उन्होंने यह भी कहा था कि भारत में 40,000 से अधिक अवैध रोहिंग्या प्रवासी मौजूद हैं।
अवैध विदेशी नागरिकों की उपस्थिति से सरकारी योजनाओं, रोजगार और संसाधनों पर दबाव बढ़ता है। कई बार ये लोग फर्जी पहचान बनाकर सरकारी लाभ भी ले लेते हैं, जिससे असली पात्रों को नुकसान होता है। लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद और वाराणसी जैसे तेजी से विकसित शहरों में यह समस्या ज्यादा दिखाई देती है, क्योंकि यहां पहले से ही जनसंख्या घनत्व अधिक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल सीमा से जुड़े यूपी के जिलों में फर्जी पहचान, अवैध प्रवेश और संदिग्ध गतिविधियों का खतरा अधिक है। इसलिए समय पर पहचान और कार्रवाई बेहद जरूरी है।
कुल मिलाकर, यह अभियान कानून-व्यवस्था, सामाजिक सामंजस्य और संसाधन प्रबंधन को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटा जा सकेगा और प्रदेश और अधिक सुरक्षित और स्थिर बनेगा।
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