
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के लाखों कमर्शियल वाहन मालिकों को बड़ी राहत दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 7.5 टन तक के व्यावसायिक वाहनों पर वन टाइम टैक्स की नई व्यवस्था को मंजूरी दे दी गई है। अब इन वाहन स्वामियों को त्रैमासिक या वार्षिक टैक्स के झंझट से छुटकारा मिलेगा।
परिवहन विभाग ने मुख्यमंत्री के निर्देश पर टैक्स प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में कदम उठाया है। अब 7.5 टन तक के माल वाहनों, मोटर कैब (7 सीटर), मैक्सी कैब (11 सीटर) और यात्री वाहनों को वन टाइम टैक्स के दायरे में लाया गया है। यह बदलाव न केवल वाहन मालिकों को बार-बार की पेमेंट झंझट से मुक्ति देगा, बल्कि टैक्स चोरी की संभावनाओं को भी खत्म करेगा।
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राजधानी लखनऊ में करीब 1.75 लाख वाहन ऐसे हैं, जिन्हें इस नई नीति से तुरंत लाभ होगा। आरटीओ लखनऊ के आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख लाभार्थी वाहन कुछ इस प्रकार हैं:
| वाहन श्रेणी | संख्या |
| ई-रिक्शा (पैसेंजर) | 62,258 |
| 7.5 टन तक के मालवाहन | 29,314 |
| मोटर कैब | 28,423 |
| मैक्सी कैब | 27,825 |
| अन्य | 7,705 |
यह फैसला खासकर उन छोटे निवेशकों और ड्राइवरों के लिए बड़ी राहत है, जो हर तिमाही टैक्स जमा करने में असमर्थ रहते थे।
सरकार ने पारंपरिक वाहनों के साथ-साथ ई-वाहनों को भी टैक्स राहत दी है। 2025-26 की पहली तिमाही में 70,770 ई-वाहनों को कुल 255.50 करोड़ रुपये की छूट दी गई। अकेले जून 2025 में 23,513 ई-वाहनों को 94.70 करोड़ की राहत मिली। अब तक राज्य में 12.29 लाख ई-वाहनों का पंजीकरण हो चुका है, जो देश में एक बड़ी उपलब्धि है।
परिवहन विभाग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल-जून 2025 के बीच 2913.78 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ, जो पिछले साल की तुलना में 10.39% अधिक है। यह इस बात का संकेत है कि सरकार की डिजिटल, पारदर्शी और राहतपूर्ण नीतियां वाकई में असरदार हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति राज्य को ई-मोबिलिटी हब बनाने के प्रयासों को मजबूती देगी। आने वाले समय में इलेक्ट्रिक बसों, कारों और दोपहिया वाहनों की संख्या में वृद्धि होगी। सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आधारभूत ढांचे को विकसित करने में भी तेजी से कार्य कर रही है
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