
Yogi Adityanath crime control: उत्तर प्रदेश अब कानून-व्यवस्था के क्षेत्र में मिसाल बन चुका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में राज्य सरकार द्वारा 2017 से अब तक चलाया गया ‘जीरो टॉलरेंस’ अभियान अपराध के खिलाफ निर्णायक साबित हुआ है। इस दौरान 234 दुर्दांत अपराधियों को मुठभेड़ों में ढेर कर दिया गया, और यह आंकड़ा बताता है कि यूपी अब अपराधियों के लिए सुरक्षित जगह नहीं रहा।
उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्णा के मुताबिक, इन आठ वर्षों में राज्य में कुल 14,741 मुठभेड़ें दर्ज की गईं। इन अभियानों में 30,293 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 9,202 अपराधी घायल हुए। पुलिस ने इस दौरान 18 जवानों की शहादत दी और 1,700 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए। सिर्फ मुठभेड़ों तक सीमित न रहते हुए, सरकार ने गैंगस्टर एक्ट, एनएसए और संपत्ति कुर्की जैसे कड़े प्रावधानों को भी सख्ती से लागू किया।
मेरठ जोन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई के मामले में सबसे सक्रिय रहा। यहां:
यह आंकड़ा बताता है कि पश्चिम यूपी में पुलिस ने संगठित अपराध को खत्म करने में पूरी ताकत झोंक दी है।
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दोनों जोनों में लगातार पुलिस ऑपरेशन ने अपराधियों की गतिविधियों को सीमित कर दिया है।
उत्तर प्रदेश के कमिश्नरेट शहरों में भी अपराध के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया गया। लखनऊ कमिश्नरेट ने:
अन्य शहरों के आंकड़े:
यह दिखाता है कि कमिश्नरेट सिस्टम वाले शहरों में भी अपराध पर पूरी तरह नियंत्रण के प्रयास किए गए हैं।
पारंपरिक जोनों में भी पुलिस का कड़ा रुख देखने को मिला:
इससे स्पष्ट होता है कि अभियान राज्य के हर कोने में समान रूप से चलाया गया।
इस 'जीरो टॉलरेंस' नीति का सीधा असर समाज पर पड़ा है। अपराधियों में भय का माहौल है और जनता में सुरक्षा का विश्वास मजबूत हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान "अपराधी या तो जेल में होगा या प्रदेश से बाहर" अब जमीनी हकीकत बन चुका है। माफिया सरगनाओं की संपत्ति कुर्क, अवैध कब्जे हटाना, और गैंगों की कमर तोड़ना, यह सब अब आम प्रशासनिक कार्यप्रणाली का हिस्सा है।
उत्तर प्रदेश सरकार की यह नीति अब राष्ट्रीय मंच पर चर्चा का विषय बन चुकी है। नीति आयोग, गृह मंत्रालय, और अन्य राज्य सरकारें इस मॉडल को अपने यहां लागू करने पर विचार कर रही हैं। जिस उत्तर प्रदेश को एक समय ‘बीमारू राज्य’ कहा जाता था, वही अब कानून व्यवस्था की मिसाल बन चुका है।
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