महाकुंभ 2025: 105 साल के बाबा, 70 साल से अन्न-नमक का त्याग! हैरान कर देगी तपस्या

Published : Jan 07, 2025, 04:40 PM ISTUpdated : Jan 08, 2025, 09:46 AM IST
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सार

प्रयागराज महाकुंभ में 105 वर्षीय फलाहारी बाबा की 70 साल से अन्न-नमक त्याग कर कठिन तपस्या। 15 घंटे जल तपस्या और योगी आदित्यनाथ से सम्मान।

महाकुंभ नगर, प्रयागराज। महाकुंभ 2025 का आयोजन संगम नगरी प्रयागराज में धूमधाम से चल रहा है। इस महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु जहां धार्मिकता का अनुभव कर रहे हैं, वहीं कुछ संतों की साधना ने सभी को हैरान भी कर दिया है । ऐसे ही एक संत हैं 105 साल के फलाहारी बाबा।

फलाहारी बाबा इस लिए क्योंकि बाबा ने 70 साल से अन्न-नमक का त्याग किया हुआ है। जिनकी साधना सभी के लिए एक अद्भुत उदाहरण है।

7 साल की उम्र में छोड़ा घर, की सन्यास की शुरुआत

फलाहारी बाबा ने 7 साल की उम्र में सन्यास का रास्ता अपना लिया था। वह अपने घर और परिवार को छोड़कर साधना की ओर बढ़े। बाबा ने पिछले 70 साल से अन्न, नमक और मीठे का त्याग कर दिया है। उनकी तपस्या का यह सफर बहुत कठिन था, लेकिन उनके मन में एक ही उद्देश्य था - आत्मा का सत्य जानना।

15 घंटे तक करते हैं जल तपस्या

फलाहारी बाबा का साधना का तरीका बहुत ही कठिन है। वह हर दिन 6 से 15 घंटे तक गंगा के पानी में खड़े रहते हैं और ध्यान करते हैं। इस दौरान वह पूरी तरह से ध्यानमग्न रहते हैं और किसी भी बाहरी प्रभाव से नहीं विचलित होते। यह उनकी दृढ़ आस्था और तपस्या का अद्भुत उदाहरण है।

बाबा का जीवन एक प्रेरणा है। उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था, और उन्हें बचपन से ही आध्यात्मिकता का आभास था। उनके पिता रोज गीता का पाठ करते थे, और उसी से उन्होंने जीवन का सही मार्ग अपनाया। बाबा का कहना है कि उन्होंने जो त्याग किया, वह उन्हें आत्मा के सत्य को जानने में मदद करता है।

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महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर बाबा का विचार

बाबा ने महाकुंभ 2025 की व्यवस्थाओं की सराहना की है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का उनके प्रति विशेष सम्मान है। हालांकि, कुछ अधिकारियों के बारे में उन्होंने अव्यवस्था का भी आरोप लगाया। बाबा ने कहा कि उन्होंने कई बार योगी आदित्यनाथ से उपहार भी प्राप्त किए हैं।

वृंदावन से प्रयागराज तक का सफर

फलाहारी बाबा का मुख्य आश्रम वृंदावन में स्थित है, लेकिन इस महाकुंभ के दौरान उन्होंने प्रयागराज में अपनी तपस्या की है। बाबा की साधना श्रद्धालुओं को प्रेरित कर रही है, और वे सभी उनकी पूजा करने के लिए उत्सुक हैं। महाकुंभ 2025 में श्रद्धालु फलाहारी बाबा की तपस्या और साधना को देख रहे हैं और उनकी आस्था को महसूस कर रहे हैं। बाबा की जीवनशैली और साधना से उन्हें यह सीखने को मिल रहा है कि जीवन में संयम और साधना कितनी महत्वपूर्ण है।

महाकुंभ 2025: फलाहारी बाबा की साधना और हमारे जीवन की दिशा

फलाहारी बाबा की साधना और उनका जीवन एक प्रेरणा का स्रोत है। महाकुंभ 2025 में उनकी साधना ने सभी को यह संदेश दिया है कि अगर इंसान के पास आत्मविश्वास और आस्था हो, तो वह कोई भी कठिन कार्य कर सकता है। बाबा की साधना के माध्यम से हम यह समझ सकते हैं कि जीवन में आत्मा के सत्य को जानने का रास्ता कितना कठिन और अद्भुत हो सकता है।

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