
Uttar Pradesh river revival project: उत्तर प्रदेश की 75 छोटी और सहायक नदियों का जल स्तर बीते वर्षों में धीरे-धीरे घटता चला गया। कई नदियां आज सिर्फ नाम की रह गई हैं। इन नदियों से न सिर्फ खेती और भूजल recharge जुड़ा है, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी और गांवों की संस्कृति भी गहराई से जुड़ी हुई है। यही कारण है कि अब योगी सरकार ने इन नदियों को पुनर्जीवित करने का बीड़ा उठाया है।
सरकार की योजना सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि तकनीकी संस्थानों के सहयोग और विभागीय समन्वय के साथ धरातल पर उतर रही है। आईआईटी कानपुर, आईआईटी बीएचयू, बीबीएयू लखनऊ और आईआईटी रुड़की जैसे देश के अग्रणी संस्थानों को इसमें शामिल किया गया है, जो नदियों की भौगोलिक, पारिस्थितिक और सामाजिक स्थितियों का गहन अध्ययन कर मास्टरप्लान तैयार कर रहे हैं।
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नदियों के पुनरुद्धार को केवल एक विभागीय योजना न मानकर इसे एक सामूहिक सरकारी प्रयास बनाया गया है। इसके लिए सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई, पंचायती राज, वन, बागवानी, मत्स्य, शहरी विकास, ग्रामीण विकास, खाद्य प्रसंस्करण, राजस्व और जल संसाधन एजेंसी जैसे 10 प्रमुख विभागों को साथ लाया गया है। इसके अतिरिक्त, मंडल स्तर पर निगरानी समितियां भी गठित की गई हैं जो कार्य की निगरानी और प्रगति सुनिश्चित करेंगी।
नदियों के साथ-साथ राज्य की ऐतिहासिक विरासतों को भी नया जीवन देने की कोशिश शुरू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 11 पुराने किलों और भवनों का कायाकल्प करने की योजना तैयार की है। ये काम पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर होगा, जिससे सरकारी संसाधनों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।
पर्यटन विभाग ने इसके लिए एजेंसियों से अनुरोध प्रस्ताव (RFP) आमंत्रित किए हैं। खास बात यह है कि इन ऐतिहासिक स्थलों के विकास में उनके मूल स्वरूप से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। इन इमारतों को होटल, संग्रहालय या सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।
ये सभी स्थल अपनी विशेष वास्तुकला और ऐतिहासिक कहानियों के कारण आज भी शोध और पर्यटन के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की यह दोहरी रणनीति, नदियों का पुनरुद्धार और विरासत का संरक्षण, केवल पर्यावरण और पर्यटन ही नहीं, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक पहचान और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देने की दिशा में एक अहम कदम है। इन पहलों के सफल क्रियान्वयन से आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश की छवि एक समृद्ध, सांस्कृतिक और सतत विकासशील राज्य के रूप में उभर सकती है।
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